उत्तर प्रदेश में अयोध्या स्थित राम मंदिर का प्रबंधन करने वाले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने स्थानीय शिल्प कौशल को बढ़ावा देने के मकसद से दिवाली पर सजावट के लिए चीनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करने का फैसला किया है.अयोध्या शहर इस साल एक भव्य दीपोत्सव की तैयारी कर रहा है- यह यहां इस तरह के आयोजन का आठवां संस्करण होगा. इस साल जनवरी में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद यहां पहली बार दीपोत्सव मनाया जाएगा. मंदिर परिसर को दीयों और अन्य वस्तुओं से सजाया जाएगा.
एक मीडिया बयान के अनुसार, ‘‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने दिवाली के दौरान सजावट के लिए चीनी वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, स्थानीय शिल्प कौशल को बढ़ावा देने और ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) पर जोर दिया गया है.”
पुलिस ने कहा कि दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगभग 10,000 सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर तैनात होंगे और उनमें से लगभग आधे सादे पोशाक में होंगे.
राम मंदिर में चीनी सजावटी वस्तुओं का उपयोग नहीं करने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अयोध्या के आयुक्त गौरव दयाल ने कहा, ‘‘मूल रूप से हम केवल उन वस्तुओं का उपयोग करना चाहते हैं जो स्वदेशी और स्थानीय हैं. वे कह रहे हैं कि वे चीनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करेंगे, लेकिन पूरा विचार यह है कि वे स्थानीय कारीगरों, स्थानीय कलाकारों और स्थानीय सामग्री को बढ़ावा देना चाहते हैं जो अधिक पर्यावरण-अनुकूल है.”
क्या लोगों से चीनी सामग्री का उपयोग नहीं करने की कोई अपील की गई है या निर्देश दिया गया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह उन पर निर्भर है. उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को मजबूर नहीं कर सकते.”
दिवाली से एक दिन पहले बुधवार को दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य इस साल एक साथ सबसे अधिक संख्या में दीये जलाकर फिर से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना है.
दिन में विशेष राम लीला और अन्य तरह के प्रदर्शन की योजना बनाई गई है. मीडिया विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को उत्सव के अवसर पर उच्च फैशन और आध्यात्मिकता के मिश्रण को प्रदर्शित करते हुए राम लला और उनके भाइयों के लिए विशेष पोशाक डिजाइन करने का काम सौंपा गया है.”