एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic Medicines) के दुरुपयोग को रोकने के लिए आईसीएमआर एल्गोरिदम बनाएगा. एंटीबायोटिक का सेवन सामान्य बीमारियों के लिए भी किया जा रहा है. आईसीएमआर एंटीबायोटिक दवाओं के इंप्रिकल उपयोग पर दिशानिर्देशों पर काम कर रहा है.
अनुभवजन्य एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस पैदा होता है, जो भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है. आईसीएमआर ऊपरी श्वसन संक्रमण, बुखार और निमोनिया के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अनुभवजन्य उपयोग पर देश का पहला दिशानिर्देश विकसित करने के लिए काम कर रही है. इन बीमारियों की स्थितियों में उनका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है.
सन 2019 में देश में अनुमानित 2,97,000 मौतों के लिए एएमआर को जिम्मेदार ठहराया गया. एंटीबायोटिक दवाओं का अनुभवजन्य उपयोग तब होता है जब संक्रमण पैदा करने वाले रोगजनक की पहचान होने से पहले एंटीबायोटिक रोगी को दिया जाता है.
एएमआर तब होता है जब विभिन्न रोगजनक, जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी, मौजूदा दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, जिससे लोग बीमार हो जाते हैं. बीमारियां, संक्रमण फैलने और मौतों का खतरा बढ़ जाता है. इलाज करना मुश्किल होता है. इस सबको देखते हुए ICMR एक कड़ा कदम उठाने जा रहा है, जिससे मौत की संख्या कम हो.
अप्रैल 2024 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग ने एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का लेवल तेजी से बढ़ा दिया है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में पाया गया कि करीब 75 प्रतिशत रोगियों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया गया, भले ही वे असर करती हों या नहीं. हालांकि अस्पताल में भर्ती कोविड के केवल 8 प्रतिशत रोगियों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं जरूरी थीं.
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है और यह लगभग 1.27 मिलियन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था. सन 2019 में इससे दुनिया भर में 4.95 मिलियन मौतें हुईं. रिपोर्ट में कहा गया, “कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक का उपयोग बढ़ गया. साल 2020 और 2022 के बीच पूर्वी भूमध्यसागरीय और अफ्रीकी क्षेत्रों में इसमें 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई.”