पॉपुलर मलयालम एक्टर और फिल्म मेकर सिद्दीकी ने 24 अगस्त को एक महिला एक्ट्रेस द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद रविवार (25 अगस्त) को एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMMA) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. एक बयान में सिद्दीकी ने कन्फर्म किया कि उन्होंने AMMA के अध्यक्ष मोहनलाल को अपना रेजिगनेशन लेटर सौंप दिया है. सिद्दीकी ने कहा, “हां…मैंने संगठन के अध्यक्ष मोहनलाल को अपना ऑफीशियल इस्तीफा सौंप दिया है. क्योंकि मेरे खिलाफ आरोप थे. इसलिए मैंने पद पर बने रहने के बारे में नहीं सोचा और इस्तीफा दे दिया.” एक्ट्रेस ने आरोप लगाया कि सिद्दीकी ने उन्हें एक फिल्म पर चर्चा के लिए बुलाया और उनका यौन शोषण किया.
जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती जांच के बीच ये आरोप सामने आए हैं. इसमें इंडस्ट्री में उत्पीड़न और शोषण के व्यापक मुद्दों को उजागर किया गया है. एक दिन पहले सिद्दीकी ने मीडिया से बातचीत के दौरान हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बारे में बात की और कहा, “एक दशक पहले राज्य में सभी फिल्म से जुड़े संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक हाई पावर कमेटी बनाई गई थी. हमें यकीन नहीं है कि इसके बारे में बताया गया है कि नहीं. ऐसी कोई पावर लॉबी नहीं है. कोई भी लॉबी किसी भी तरह से सिनेमा को कंट्रोल नहीं कर सकती. अगर कोई ग्रुप सभी पहलुओं को कंट्रोल कर रहा है तो कोई इंडस्ट्री कैसे काम कर सकती है? अगर ऐसा कोई पावर ग्रुप होता तो अच्छा सिनेमा नहीं होता. जब से रिपोर्ट सामने आई है तब से पूरी मलयालम फिल्म इंडस्ट्री और उसके लोगों को बुरा बताने के आरोप लग रहे हैं जो दुखद है. उन्होंने कहा, “हर जॉब सेक्टर में समस्याएं हैं लेकिन कोई भी पूरे क्षेत्र को कलंकित करने वाले कमेंट नहीं करता.”
क्या है हेमा कमेटी रिपोर्ट
बता दें कि रिपोर्ट में इंडस्ट्री के अंदर एक्ट्रेसेज के साथ होने वाले गंभीर भेदभाव और शोषण को दृढ़ता से उजागर किया गया है. कास्टिंग काउच के ट्रेंड और फिल्म सेट पर बुनियादी सुविधाओं की कमी से लेकर सैलरी में असमानता और दुर्व्यवहार करने वालों की मांगों को पूरा करने से इनकार करने पर बहिष्कार तक…रिपोर्ट ने इंडस्ट्री के काले पक्ष को उजागर किया है. केरल उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश के हेमा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी जिसमें सीनियर एक्टर टी सारदा और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी केबी वलसालाकुमारी सदस्य हैं. इसका गठन केरल सरकार ने जुलाई 2017 में किया था.
पिछले हफ्ते केरल उच्च न्यायालय ने इस शर्त के साथ रिपोर्ट को जारी करने की इजाजत दी कि इसमें शामिल लोगों की पहचान की रक्षा के लिए नाम और सेंसिटिव जानकारी को बदला जाए. इसकी रिलीज में देरी करने के कुछ कोशिशों के बावजूद, 295 पेज की रिपोर्ट सोमवार को पब्लिक कर दी गई. हालांकि आरटीआई एक्टर के तहत रिलीज होने से पहले शुरुआती 295-पेज की रिपोर्ट के 63 पेजों को एडिट किया गया है. इसमें “माफिया” के लगाए गए कंट्रोल की सीमा के बारे में जानकारी दी गई है. जो कथित तौर पर शिकायत करने की हिम्मत करने वाले किसी भी व्यक्ति को चुप करा देता है जिससे उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं.