कनाडा भारत संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में कैसे पहुंचे? 11 प्वाइंट्स में जानिए

India Canada Relations: भारत ने आज कनाडा के राजदूत सहित उसके छह अधिकारियों को देश से निकल जाने का आदेश दे दिया. यही नहीं कनाडा में काम कर रहे अपने राजदूत और अन्य अधिकारियों को भी वापस आने का आदेश जारी कर दिया है. यह सब क्यों हुआ? इसका आसान सा उत्तर है आंतकी निज्जर की हत्या के बाद तनातनी. मगर इसके पीछे बड़ी वजह खालिस्तानी आतंकियों को कनाडा की तरफ से की वर्षों से मदद और भारत के हितों की अनदेखी है. खालिस्तान प्रेम में न सिर्फ कनाडा ने भारतीयों की जान ली है, बल्कि दुनिया के कई नागरिकों की भी जान ली है और ये सब कनाडा के लोगों ने नहीं, जस्टिन ट्रूडो और उनके पिता का किया धरा है.

यह साल 1985 की बात है. 23 जून 1985 को कनिष्क विमान में सवार 86 बच्चों समेत 329 लोगों को अंदाजा तक नहीं था कि वह जीवन के अंतिम सफर पर निकल पड़े हैं. अचानक विमान में एक धमाका हुआ और सबकुछ खत्म हो गया. आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों पर लगे और इसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का जवाब माना गया, मगर मानव अधिकारों का ढिंढोरा पीटने वाला कनाडा अब तक इस घटना में न तो किसी आरोपी को सजा दिलवा सका और न ही इसकी जांच पूरी कर सका.  भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस तरह के आतंकवादी खतरे की चेतावनी कनाडा के तत्कालीन पीएम और जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो को खुद भी दी थी. मगर उन्होंने इस मामले को अनदेखा किया और इसका नतीजा पूरी दुनिया ने देखा. पूरी खबर यहां पढ़ेंये दौर पंजाब में खालिस्तान को लेकर बढ़ती आतंकवादी घटनाओं का था. कनाडा इसे बढ़ावा दे रहा था. पाकिस्तान इसके पीछे था. भारत कनाडा को इस मामले से दूर रहने और उसकी अखंडता का सम्मान करने को कह रहा था, मगर कनाडा अपने ही अहंकार में मस्त था. धीरे-धीरे भारत में खालिस्तान की मांग दम तोड़ती गई और ये कनाडा और पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में भगोड़ों और अपराधियों के हित साधना का मंत्र बन गई.फिर आया 2023. इसी साल मार्च में, कनाडा में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के बाहर खालिस्तान-समर्थकों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त को तलब किया था. उसी वक्त भारत के पंजाब में भी खालिस्तान-समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही थी. उस वक्त विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि “कनाडा सरकार से उम्मीद है कि हमारे राजनयिकों तथा राजनयिक परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे…” लगभग दो माह के बाद भारतीय विदेशमंत्री डॉ एस. जयशंकर ने ब्रैम्पटन में आयोजित एक ऐसी रैली को लेकर कनाडा सरकार पर वार किया, जिसमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाता एक बैनर प्रदर्शित किया गया था. डॉ जयशंकर ने संकेत दिया था कि कनाडा सरकार द्वारा अलगाववादियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करने के पीछे ‘वोट बैंक की राजनीति’ हो सकती है. उन्होंने कहा था, “मुझे लगता है, एक छिपी वजह है, जिसके चलते अलगाववादियों, चरमपंथियों, हिंसा की वकालत करने वाले लोगों को जगह दी जाती है, और मुझे लगता है कि यह रिश्तों के लिए और कनाडा के लिए भी अच्छा नहीं है…”खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून, 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक गुरुद्वारे के पार्किंग एरिया में कुछ नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. निज्जर की हत्या के कुछ हफ़्ते बाद एक खालिस्तानी संगठन ने हत्या के लिए कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और महावाणिज्यदूत अपूर्व श्रीवास्तव को ज़िम्मेदार ठहराने वाले पोस्टर जारी किए थे. दोनों राजनयिकों को हत्या के लिए उत्तरदायी ठहराने वाले इन पर्चों में 8 जुलाई को टोरंटो में एक रैली की भी घोषणा की गई थी. इसकी वजह से भारत ने कनाडाई अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया भी था.उस वक्त कनाडा ने भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था और जारी किए गए ‘प्रचार संबंधी पर्चों’ को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था.नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने साफ़ संकेत दिए थे कि कनाडा की धरती पर खालिस्तान-समर्थकों की  गतिविधियों के ख़िलाफ़ कनाडा की प्रतिक्रिया से भारत असंतुष्ट है. शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कनाडा में चरमपंथियों की भारत-विरोधी गतिविधियां जारी रहने’ को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में जस्टिन ट्रूडो को जानकारी दी थी. द्विपक्षीय वार्ता के बाद सख्त शब्दों में भारत की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था, “ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम, ड्रग सिंडिकेटों और मानव तस्करी करने वालों के साथ ऐसी शक्तियों के गठजोड़ को लेकर कनाडा को भी चिंता होनी चाहिए… यह बेहद ज़रूरी है कि दोनों देश ऐसे खतरों से निपटने के लिए सहयोग करें…”उधर, जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उन्होंने खालिस्तान चरमपंथ और ‘विदेशी हस्तक्षेप’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार चर्चा की है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि कनाडा हमेशा “अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का बचाव करता रहेगा…’ उन्होंने यह भी कहा था कि कनाडा हिंसा को रोकने के साथ-साथ नफरत को दूर भी करेगा.फिर सितंबर 2023 में कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया और जवाबी कार्रवाई में नई दिल्ली के इंटेलिजेंस चीफ को निष्कासित कर दिया. कनाडा के इस  कूटनीतिक कदम ने ओटावा और दिल्ली के बीच संबंधों में पहले से भी ज्यादा खटास आ गई. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करते हुए कहा कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के “विश्वसनीय आरोप” थे. हमारी सरकार इन आरोपों की सक्रियता से जांच कर रही है. जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार से मामले को सुलझाने में सहयोग करने की मांग की. इसी महीने कनाडा में मौजूद भारत के वीजा एप्लिकेशन सेंटर (Visa Application Center for Canada) ने वीजा सेवाएं सस्पेंड कर दीं.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ”कनाडा में जो हाई कमीशन और कॉन्सुलेट हैं, उन्हें सुरक्षा की चिंता है. धमकी का सामना कर रहे हैं. इससे उनका सामान्य कामकाज प्रभावित हो रहा है. इसलिए हाई कमीशन और कासुलेट वीजा अस्थाई तौर पर वीजा एप्लिकेशन प्रोवाइड नहीं कर पा रहे हैं. इसकी समीक्षा होती रहेगी.”जवाब में भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त कैमरून मैके को नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय मुख्यालय में बुलाया और उन्‍हें 5 दिन के भीतर देश छोड़कर जाने के लिए कहा.फिर 41 कनाडा के अधिकारियों को देश से बाहर किया गया.जनवरी 2024 में एक बार फिर कनाडा (Canada) नेभारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कनाडा ने भारत को एक ‘विदेशी खतरा’ बताया और ये भी कहा कि वह संभावित रूप से उनके चुनावों में हस्तक्षेप कर सकता है. यह आरोप कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने ग्लोबल न्यूज द्वारा प्राप्त एक खुफिया रिपोर्ट में लगाए.भारत ने कनाडा के चुनाव में हस्तक्षेप के आरोप को खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि कनाडा ही “हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप” कर रहा है.अप्रैल 2024 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मौजूदगी में खालिस्तानी समर्थक नारेबाजी का भारत ने कड़ा विरोध जताया. साथ ही कनाडा के राजदूत को तलब किया. कनाडा के बड़े नेताओं की मौजूदगी वाले एक कार्यक्रम के दौरान खालिस्तान के नारे लगाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उप उच्चायुक्त को तलब किया था.कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सरकार पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट से कनाडा को बड़ा नुकसान होगा. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हिंसा की वकालत करने की स्वतंत्रता नहीं हो सकती, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी देश में अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन करने की स्वतंत्रता नहीं हो सकती. खालिस्तानियों का एक समूह वर्षों से कनाडा के स्वतंत्रता कानूनों का दुरुपयोग कर रहा है. लेकिन कनाडाई सरकार वोट बैंक के चलते इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही.ताजा विवाद तब शुरू जब भारत को कल कनाडा से एक ‘‘राजनयिक संचार मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उसके देश में ‘निगरानी वाले व्यक्ति’ हैं.” मतलब कि अगर उच्चायुक्त न होते तो उन्हें कनाडा में गिरफ्तार कर लिया जाता. पूरी खबर यहां पढ़ें

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