क्या ममता सरकार के लिए ‘सिंगूर’ साबित होगा RG कर हॉस्पिटल, रेप-मर्डर कांड में कहां-कहां हुई चूक

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. CBI की जांच का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही है. इसके साथ ही सड़कों पर जनता का आक्रोश दिख रहा है. इस केस को लेकर ममता सरकार के 13 साल में शायद पहली बार सत्ता विरोधी माहौल बनता दिख रहा है. शायद यही वजह है खुद सीएम ममता बनर्जी अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं. 

ममता बनर्जी ने साल 1998 में कांग्रेस से नाता तोड़ कर तृणमूल कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बनाई. साल 2011 के विधानसभा चुनावों में बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो कार प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला बहुत बड़ा मुद्दा बना. ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को बहुत अच्छे से कैश किया और अपनी सियासत की जमीन तैयार की. 

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सिंगूर और नंदीग्राम में उनके विरोध-प्रदर्शन की वजह से ही आखिरकार टाटा ग्रुप को अपनी लखटकिया कार नैनो प्रोजेक्ट को बंगाल से गुजरात शिफ्ट करना पड़ा. कभी ममता बनर्जी ने अकेले ही पश्चिम बंगाल पर 34 साल से काबिज लेफ्ट को हटाकर अपनी सरकार बनाई थी. 13 साल से वो सत्ता में हैं. अब पहली बार उनकी सरकार चौतरफा घिर रही है. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के साथ जिस तरह से लोगों का आक्रोश दिख रहा है, उसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या आरजी कर हॉस्पिटल बंगाल की राजनीति का नया सिंगूर कांड बन सकता है? 

एक तरफ जहां विरोधी प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी से इस्तीफा मांग रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और यहां तक की INDIA अलायंस के सहयोगी भी ममता सरकार पर हमले कर रहे हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि ममता बनर्जी जब भी सियासी मुश्किल में घिरती हैं, तो पहले से ज्यादा मजबूत होकर सामने आती हैं. लेकिन इस बार उनके सामने चुनौती बहुत कड़ी है. क्योंकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी ममता सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से पूछे ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर इस बात की GD यानी जनरल डायरी में एंट्री है कि एक लड़की बेहोश हालत में मिली है. मेडिकल बोर्ड ने कहा कि गला घोंटने की वजह से हत्या हुई. इसका एक कारण सेक्सुअल एसॉल्ट भी हो सकता है, लेकिन पुलिस ने 6 और 7 बजे के बीच पोस्टमार्टम करवा दिया. डॉक्टर का अंतिम संस्कार भी हो गया. इन सबके बाद पुलिस ने रात को 11 बजकर 45 मिनट पर FIR दर्ज की. कोर्ट ने सवाल उठाया कि सबसे पहले FIR दर्ज क्यों नहीं की गई? 

ममता सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने दी ये दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अननैचुरल डेथ के मामले में से दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है. हालांकि, CJI ने ये कहते हुए ऐतराज़ जताया कि रात को साढ़े 11 बजे FIR दर्ज करना जस्टिफाई नहीं किया जा सकता. क्योंकि बॉडी सुबह साढ़े 9 बजे ही मिल गई थी.

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बंगाल सरकार की साख पर उठ रहे सवाल
चीफ जस्टिस ने जो बातें पूछीं, उससे पश्चिम बंगाल सरकार की साख पर सीधे सवाल उठते हैं. पहला सवाल- FIR दर्ज करने में 14 घंटे की देरी का कारण क्या है? दूसरा सवाल- कॉलेज के प्रिंसिपल खुद FIR के लिए आगे क्यों नहीं आए? तीसरा सवाल- क्या किसी को बचाने की कोशिश की जा रही है? चौथा सवाल- प्रिंसिपल ने इस्तीफा दिया और उन्हें दूसरा कॉलेज दे दिया गया…ऐसा क्यों और कैसे हुआ? पांचवां सवाल-कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि रेप हुआ है. लेकिन पुलिस डायरी की एंट्री से पता चलता है कि उस घटना स्थल की घेरेबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई है.

कोलकाता पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध
कोलकाता केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने पुलिस के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “मैंने अपने 30 सालों के करियर में ऐसा केस नहीं देखा. पोस्टमार्टम के बाद अननैचुरल डेथ रिपोर्ट कैसे दी गई. ASP का आचरण बहुत संदिग्ध है. उन्होंने ऐसा क्यों किया? कोर्ट में सुनवाई के दौरान CBI ने दावा किया कि क्राइम सीन को नुकसान पहुंचाया गया. सबूत भी मिटाए गए.

ममता सरकार से कहां-कहां हुई चूक?
इस केस को हैंडल करने को लेकर ममता सरकार पर कई जगह चूक हुई. सवाल उठ रहे हैं कि आरजी कर हॉस्पिटल रात के अंधेरे में हजारों की भीड़ कहां से आ गई? बाद में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि ये हमला BJP और वामदलों ने बाहरी लोगों से कराया है. मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष शक के दायरे में थे. उनका इस्तीफा अस्वीकार करके ममता सरकार ने उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल क्यों बना दिया?

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इसका मतलब क्या ममता को उठाना पड़ेगा सियासी नुकसान?
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की इतनी फजीहत हो रही है. पहले भी संदेशखाली का मामला हो या फिर आसनसोल हिंसा. ममता बनर्जी पर सवाल उठे हैं. लेकिन उन्होंने इतना रिएक्शन नहीं दिया, जितना आरजी कर केस को लेकर दे रही हैं. 

आरजी कर हॉस्पिटल केस को लेकर ममता बनर्जी ने कहा, “आरजी कर अस्पताल की घटना के अभियुक्त को रविवार तक फांसी दे दी जाए.” उन्होंने कहा, “बांग्लादेश की तरह यहां मेरी सरकारी भी गिराने की कोशिश चल रही है. मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है. इस घटना पर सीपीएम और भाजपा राजनीति कर रही हैं. आरजी कर अस्पताल पर हमले के पीछे भी वाम और राम का ही हाथ है.” 

इन बयानों से सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी इस केस की वजह से भारी दबाव में हैं? क्या उनको अपने सबसे बड़े वोट बैंक के बिखरने का खतरा नजर आ रहा है? शायद इसलिए ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है. पूरी चिट्ठी में ममता ने देश में बढ़ रहे रेप के मामलों का जिक्र किया, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इसमें कहीं कोलकाता केस का जिक्र ही नहीं है.

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PM मोदी को ममता ने लिखी ये चिट्ठी
ममता ने चिट्ठी में लिखा है- ‘आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं आपके ध्यान में लाना चाहती हूं कि देश भर में बलात्कार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कई मामलों में बलात्कार के साथ हत्या भी की जाती है. ये भयावह है कि देश भर में प्रतिदिन लगभग 90 बलात्कार के मामले होते हैं. इससे समाज और राष्ट्र का विश्वास और विवेक डगमगाता है. हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम इसे समाप्त करें. ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें.”

कोलकाता केस में कहां तक पहुंची CBI की जांच?
कोलकाता केस में CBI की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आज CBI को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और 4 ट्रेनी डॉक्टर के पॉलीग्राफ टेस्ट की परमिशन दे दी है. कोलकाता कांड के आरोपी संजय रॉय के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. CBI सूत्रों के मुताबिक, संजय रॉय अक्सर रेड लाइट एरिया जाया करता था. वारदात की रात भी वह रेड लाइट एरिया से आया था. उसकी 2 शादियों की भी बात सामने आ रही है.

कोलकाता रेप और मर्डर केस में किसी नतीजे तक पहुंचा जाए. इसके लिए जरूरी है कि DNA टेस्ट की रिपोर्ट आ जाए. इसी रिपोर्ट से ये साफ होगा कि वारदात में कितने आरोपी शामिल थे. आपको बताते हैं- सीबीआई जांच कहां तक पहुंची…

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