चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और बाइडेन में हुई आखिरी मुलाकात, ट्रंप पर हुई जानिए क्या बात

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कैबिनेट में कई प्रमुख नियुक्तियां कर चुके हैं. उनके कैबिनेट पर दुनियाभर की नजरें टिकी है. इसकी एक वजह ये है कि ट्रंप के कार्यकाल में किस देश को कैसी तवज्जों मिलेगी. ये कुछ हद तक उनके कैबिनेट में शामिल लोगों के कामकाज के तरीके पर भी निर्भर करेगा. इसमें गौर करने वाली बात ये होगी कि कौन सा मंत्री किस देश का समर्थक है. जाहिर सी बात है कि ट्रंप जो नियुक्तियां कर रहे हैं, इसलिए दुनियाभर के देश उस पर करीबी नजर रखे हुए हैं. अमेरिका और चीन के रिश्ते कितने तल्खियांभरे हुए हैं, ये किसी से छिपा नहीं है. इस बार ट्रंप कार्यकाल में चीन का अमेरिका के साथ कैसा संबंध रहेगा, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. ट्रंप पहले कार्यकाल में चीन के प्रति काफी सख्त थे, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप फिर से वहीं रणनीति अख्तियार करेंगे, जो उन्होंने पहले की थी.

बाइडेन और जी जिनपिंग की मुलाकात

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच संभवत ये आखिरी मुलाकात होगी. ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले तनाव कम करने का उनका लक्ष्य साइबर अपराध, व्यापार, ताइवान और रूस को लेकर नए विवादों के कारण चुनौतीपूर्ण हो गया है. व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि, बाइडेन और शी ने सात महीनों में पहली बार बातचीत की, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान पेरू के लीमा में हुई. इसी बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. चीनी राष्ट्रपति ने कहा, “चीन नए अमेरिका के साथ बातचीत बनाए रखने, सहयोग का विस्तार करने और मतभेदों को दूर करने के लिए काम करने के लिए तैयार है, ताकि चीन-अमेरिका संबंधों के बदलाव के लिए प्रयास किया जा सके.”

दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर हुई बातचीत

शी जिनपिंग और जो बाइडेन ने व्यापार से लेकर ताइवान तक के मुद्दों पर तनाव कम करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है, और शनिवार की आमने-सामने की मुलाकात पिछले साल कैलिफोर्निया में शिखर बैठक के बाद से उनकी दूसरी मुलाकात थी. ये कुल मिलाकर उनकी तीसरी मुलाकात थी. जो बाइडेन ने कहा कि उन्हें हम दोनों ने मिलकर बातचीत में जो प्रगति की है, उस पर उन्हें बहुत गर्व है. हमारे दोनों देश इस प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदल सकते, यह हमारी जिम्मेदारी है और पिछले चार वर्षों में मुझे लगता है कि हमने साबित कर दिया है कि यह रिश्ता संभव है.

ट्रंप की वापसी से क्या और गहरी होगी खाई

ट्रंप की वापसी और शीर्ष पदों पर चीन के प्रति सख्त रवैया रखने वाली नियुक्तियों ने इस आशंका को जन्म दिया है कि दोनों देशों में तनाव फिर से बढ़ सकता है. अपने पहले व्हाइट हाउस कार्यकाल में, ट्रंप ने चीन के साथ एक भीषण व्यापार युद्ध में भाग लिया, आयात पर टैरिफ लगाया. जिसका बीजिंग ने भी कड़ा जवाब दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बीजिंग के प्रति टकरावपूर्ण दृष्टिकोण रखने का संकेत दिया है. डेमोक्रेट कमला हैरिस के खिलाफ अभियान के दौरान ट्रंप ने चाइनीज सामानों के आयात पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं, ऐसे में चीन की मुसीबत बढ़ना तय है.

शी जिनपिंग ने मुलाकात में क्या कहा

शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और अमेरिका को पूरी दुनिया के हित को ध्यान में रखना चाहिए और अशांत दुनिया में अधिक निश्चितता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना चाहिए. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि दोनों नेता ताइवान – जिसे चीन अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और दक्षिण चीन सागर पर तनाव पर भी चर्चा करेंगे. जहां बीजिंग समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से पर दावा करता है. यह चर्चित बैठक 21 सदस्यीय एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के बाद हुई, जिसमें शी जिनपिंग और बाइडेन दोनों ने भाग लिया था. अपनी मुलाकात से पहले, दोनों ने कनाडा, चिली, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और जापान सहित देशों के अन्य APEC नेताओं के साथ बंद कमरे में “रिट्रीट” में भाग लिया था.

ट्रंप की वापसी से क्या कुछ बदलेगा

ट्रंप की वापसी से कुछ प्रमुख बैठक पर अनिश्चितता के बादल छाए हैं और अगले सप्ताह रियो डी जेनेरियो में G20 नेताओं की बैठक पर भी यही होगा. जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन के दौर में पहुंच गई है. उन्होंने APEC शिखर सम्मेलन में जापान और दक्षिण कोरिया सहित प्रमुख अमेरिकी सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की. ट्रंप की वापसी से यूक्रेन और मध्य पूर्व में युद्धों से लेकर जलवायु परिवर्तन और व्यापार तक के मुद्दों पर जो बाइडेन द्वारा बनाए गए गठबंधनों को खतरा है. इस बीच अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के टैरिफ न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को बल्कि अमेरिका और उसके व्यापारिक भागीदारों को भी नुकसान पहुंचाएंगे. ट्रंप जलवायु परिवर्तन पर जो बाइडेन की नीतियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, जिसमें उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को छोड़ने और जीवाश्म ईंधन के लिए ड्रिलिंग बढ़ाने की धमकी दी है. बाइडेन अमेजन रेनफॉरेस्ट का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे, जब वह रविवार को जी-20 बैठक के लिए रियो जाते समय ब्राजील के शहर मनौस में रुकेंगे, जहां शी जिनपिंग भी भी जा रहे हैं.

परमाणु हथियारों पर हुई क्या बातचीत

व्हाइट हाउस के अनुसार, जो बाइडेन ने शनिवार दोपहर को शी जिनपिंग से मुलाकात की और इस समझौते पर पहुंचे कि परमाणु हथियारों के उपयोग पर फैसला इंसान को लेना चाहिए, न कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को. ऐसा माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पहले दोनों नेताओं के बीच यह आखिरी मुलाकात थी. इससे पहले दोनों ने पेरू में वार्षिक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर एक होटल में मुलाकात की, जहां दोनों नेता एक-दूसरे से हाथ मिलाते नजर आए थे. दोनों नेताओं ने संभावित जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार करने और विवेकपूर्ण और जिम्मेदार तरीके से सैन्य क्षेत्र में एआई तकनीक विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

दोनों देशों ने नवंबर में परमाणु हथियारों पर आधिकारिक स्तर की वार्ता फिर से शुरू की थी, लेकिन तब से वे वार्ताएं रुकी हुई हैं, जिसमें एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से चीन की प्रतिक्रिया के बारे में निराशा जाहिर की थी. चीन के तेजी से परमाणु हथियारों के निर्माण के बारे में अमेरिकी चिंताओं के बावजूद, औपचारिक परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता जल्द ही होने की उम्मीद नहीं है. चुनावी अभियान के दौरान, ट्रंप ने चीन के प्रति आक्रामक रुख रखा, चीनी आयात पर टैरिफ को 60% तक बढ़ाने का वादा किया. ट्रंप ने यूक्रेन में रूस के युद्ध को 24 घंटे में समाप्त करने का भी वादा किया है, जिसका मतलब कुछ लोगों को डर है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता कम हो जाएगी.

ट्रंप कैबिनेट में शामिल प्रमुख चेहरे चीन के खिलाफ

ट्रंप कैबिनेट में फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो और रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज को प्रमुख पद मिले हैं. इन दोनों का ही रुख चीन के प्रति सख्त रहा है. जिनपिंग ने इस महीने की शुरुआत में ट्रंप को चुनाव में जीत के लिए बधाई देते हुए कहा कि उनके दोनों देशों को नए युग में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए. वहीं अमेरिकी अधिकारी हाल के हफ्तों में एफबीआई की जांच को लेकर चिंतित हैं, जिसमें दिखाया गया है कि चीनी सरकार ने अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों और राजनेताओं की जानकारी चुराने के लिए अमेरिकी नेटवर्क को हैक करने की कोशिश की थी. अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि चीन से जुड़े ऑपरेशनों ने कमला हैरिस के कर्मचारियों के साथ-साथ ट्रंप और उनके साथी जेडी वेंस के फोन को निशाना बनाया.

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