जो कभी सत्ता में थे, वो अब देश विरोधी नैरेटिव फैला रहे हैं : देहरादून में बोले उपराष्‍ट्रपति धनखड़

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने देहरादून में कहा कि अफसोस है कि जो लोग कभी सत्ता में थे, वे अब देश विरोधी नेरेटिव फैला रहे हैं और हमारे लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं. साथ ही कहा कि निजी हित के लिए कुछ लोग देश की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिष्ठा को नजरअंदाज कर रहे हैं. उपराष्‍ट्रपति ने देहरादून में CSIR-IIP में छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती पर भी जोर दिया और कहा कि जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है, जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए. 

उपराष्ट्रपति ने कहा, “संकीर्ण पार्टीगत हितों की पूर्ति के लिए वे देश विरोधी नेरेटिव फैला रहे हैं और हमारे महान लोकतंत्र की तुलना पड़ोसी देशों की प्रणालियों से कर रहे हैं.”

इस दौरान उन्‍होंने युवाओं को चेतावनी देते हुए कहा, “ये लोग हमें भटकाने की पूरी कोशिश करते हैं, अपने वास्तविक इरादों को छिपाते हुए देश की अभूतपूर्व वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं. देश की आर्थिक उन्नति और वैश्विक मंच पर इसकी शानदार वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं.”

ऐसे नेरेटिव का विरोध करने की अपील 

उन्होंने भारत के स्थिर लोकतंत्र और पड़ोसी देशों की प्रणालियों की तुलना किए जाने की आलोचना की और पूछा, “क्या हम कभी तुलना कर सकते हैं?” उन्‍होंने युवाओं से इस तरह के नेरेटिव का विरोध और उन्‍हें बेअसर करने और हानिकारक तुलनाओं को उजागर करने की अपील की. 

धनखड़ ने कहा,  “ऐसा विचार किसी भी व्यक्ति के मन में  कैसे उत्पन्न हो सकता है जो इस राष्ट्र, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र में विश्वास करता है?” 

सरकारी नौकरियों पर ध्‍यान युवाओं पर भारी : उपराष्‍ट्रपति 

धनखड़ ने भारत द्वारा वैश्विक बायोफ्यूल गठबंधन की स्थापना के ऐतिहासिक और व्यापक रूप से सराहे गए विकास को रेखांकित किया. साथ ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाए जाने की ओर इशारा किया और कहा कि यह अब वास्तविकता बन गया है. 

धनखड़ ने युवाओं से विभिन्न अवसरों का पूरी तरह से उपयोग करने की अपील की. उन्‍होंने कहा, “सरकारी नौकरियों पर अत्यधिक ध्यान हमारे युवाओं पर भारी पड़ रहा है. यह चिंताजनक रूप से आकर्षक है. हमारे युवाओं को अद्भुत अवसरों से अनभिज्ञ रहना पड़ रहा है. आईएमएफ की सराहना याद रखें कि भारत निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है. यह निश्चित रूप से सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं था.”
 

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