टीबी और लंग कैंसर में क्या अंतर है? जानिए लक्षण और क्यों देर से चलता है लंग कैंसर का पता

Tuberculosis And Lung Cancer: भारत में हर साल लंग कैंसर के करीब एक से सवा लाख नए मरीज सामने आते हैं. वहीं दुनियाभर में हर साल करीब 25 लाख लंग कैंसर के नए मरीजों की पहचान की जाती है. भारत में लंग कैंसर के करीब 80 प्रतिशत नए मरीज चौथे स्टेज पर डायग्नोज होते हैं. लंग कैंसर का पता काफी देरी से पता चलता है क्योंकि लक्षण काफी देरी से नजर आते हैं. लंग कैंसर के देरी से डायग्नोज होने के पीछे कई कारण हैं. कई बार डॉक्टर्स लंग कैंसर को टीबी समझकर लंबे समय तक ट्रीटमेंट देते रहते हैं.

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टीबी और कैंसर में अंतर (Difference Between TB And Cancer)

लंग कैंसर और टीबी के लक्षण काफी मिलते-जुलते होते हैं और कई लक्षण दोनों केस में एक समान होते हैं. डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि टीबी और लंग कैंसर दोनों ही स्थिति में खांसी करने पर खून आता है. इसके अलावा ब्रोंकाइटिस की स्थिति में भी खांसी करने पर कफ के साथ खून आ सकता है. दूर-दराज के क्षेत्रों में जहां उचित जांच की सुविधा नहीं होती है वहां कई बार डॉक्टर्स समान लक्षण होने के कारण लंबे समय तक टीबी का ही इलाज करते रहते हैं. जबकि कई बार मरीज असल में कैंसर का शिकार रहता है और जब तक बीमारी का पता चलता है तब तक काफी देर हो जाती है और मरीज चौथे स्टेज तक पहुंच जाता है.

लंग कैंसर और टीबी के लक्षण (Symptoms of Lung Cancer And TB)

लंग कैंसर और टीबी के लक्षण कई बार एक जैसे होते हैं लेकिन लगातार वजन का गिरना, बुखार रहना और थकावट महसूस होना, ये कुछ ऐसे लक्षण हैं जो टीबी में ज्यादा कॉमन है. अगर मरीज की उम्र 40 से कम है और वह स्मोकिंग नहीं करता है तो टीबी का चांस ज्यादा होता है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उसे कैंसर नहीं हो सकता है. लक्षणों के बजाए उचित टेस्ट के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए कि मरीज को टीबी है या लंग कैंसर. वहीं 50 से ज्यादा उम्र के मरीज जिनकी स्मोकिंग की हिस्ट्री हो उनमें कैंसर का चांस ज्यादा होता है. इसीलिए सिर्फ लक्षण के आधार पर यह मान लेना कि व्यक्ति को टीबी है गलत होगा. लंग कैंसर के एंगल से भी मरीज की जांच करवानी चाहिए.

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डायग्नोज करने में क्यों होती है देरी?

भारत में हर साल करीब एक से सवा लाख लंग कैंसर के नए मरीज डाइग्नोस होते हैं. इनमें से 80 प्रतिशत केस चौथे स्टेज का होता है. आंकड़ों के आधार पर यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर लंग कैंसर डाइग्नोज होने में इतना समय क्यों लगता है. डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि इसके पीछे कई कारण हैं. पहले तो सर्दी बुखार होने पर व्यक्ति खुद बीमारी को गंभीरता से नहीं लेता है और यह मान कर चलता है कि सामान्य दवाइयों से वह कुछ दिन में ठीक हो जाएगा.

ज्यादा परेशानी होने पर जब वह डॉक्टर के पास पहुंचता है तो लक्षण और एक्स रे के आधार पर कई बार कैंसर को टीबी मान लिया जाता है. कैंसर को टीबी मान कर डॉक्टर लंबे समय तक इलाज करते हैं और जब तक कैंसर कंफर्म होता है तब तक काफी देर हो जाती है. मिस डाइगनोसिस की वजह टीबी और कैंसर के लक्षणों की समानता है. इसके अलावा देर से लक्षण दिखाई देने के कारण भी लंग कैंसर चौथे स्टेज पर डायग्नोस होता है.

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