राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 220 यानी ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किए जाने के बाद ‘स्टेज-1’ लागू कर दिया गया है. 15 अक्टूबर यानी मंगलवार सुबह 8 बजे से ‘स्टेज-1’ के तहत आने वाली सभी पाबंदियां लागू हो जाएंगी. इसको लेकर आदेश भी जारी किया गया है. पिछले 24 घंटे में वायु गुणवत्ता मापदंडों में अचानक गिरावट के बाद उप-समिति ने ये निर्णय लिया है.
बता दें कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
दिल्ली वासियों को लगातार दो दिनों से खराब वायु गुणवत्ता का सामना करना पड़ रहा है. सोमवार को प्रदूषण का स्तर 234 तक पहुंच गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दशहरा के बाद रविवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 224 पर पहुंच गया था, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है, जो अगले दिन और बढ़ गया.
विभाग ने बताया कि इससे पहले आखिरी बार 19 दिन पहले (25 सितंबर को) वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गयी थी. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रतिबंध का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत निर्देश भी जारी किए हैं.
प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने सोमवार को शहर में सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया, जो एक जनवरी, 2025 तक प्रभावी रहेगा. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने यह घोषणा की और दिल्ली वासियों से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया.
पर्यावरण मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आज से एक जनवरी तक पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. दिल्ली सरकार ने प्रतिबंध के संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं, हम सभी दिल्ली वासियों से सहयोग का अनुरोध करते हैं.
यह प्रतिबंध ऑनलाइन बिकने वाले पटाखों सहित सभी प्रकार के पटाखों पर लागू होता है और इसका उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करना है, जो सर्दियों में पराली जलाने, हवा की धीमी गति और अन्य मौसमी कारकों के कारण और भी बदतर हो जाता है.
निर्देश के अनुसार, दिल्ली पुलिस को प्रतिबंध को लागू करने का काम सौंपा गया है, जिसके संबंध में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को दैनिक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी.
एक खेल परिसर के निर्माण स्थल का दौरा कर रहे मंत्री राय ने कहा, ‘‘आज, वायु गुणवत्ता सूचकांक को ‘खराब’ श्रेणी में पाया गया है और जैसे-जैसे सर्दी आती है, तापमान गिरने के साथ प्रदूषण बढ़ता जाता है. सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए 21-सूत्रीय योजना पर काम कर रही है. हम इस मामले पर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज करेंगे.”
एंटी डस्ट अभियान के तहत पर्यावरण मंत्री ने अनियमितताएं पाई और डीपीसीसी को निर्माण कार्य करने वाली कंपनी तेवतिया कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए. साथ ही डीपीसीसी द्वारा जारी नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देने पर प्रतिदिन के हिसाब से आर्थिक जुर्माना लगाने को कहा.
उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन साइटों पर डस्ट कंट्रोल के 14 नियमों को लागू करना जरूरी है. इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों को निर्माण साइट्स के लगातार निरीक्षण का निर्देश दिया गया है.
दिल्ली के अलावा एनसीआर के इलाके नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में भी प्रदूषण का स्तर दीपावली से पहले ही खतरनाक जोन में पहुंचने लगा है. आंकड़ों के मुताबिक, नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक सोमवार को सुबह 10 बजे 259, ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 270 और गाजियाबाद में 265 दर्ज किया गया है.
नोएडा के सेक्टर 116 में वायु सूचकांक 306 मापा गया है. जो खतरनाक जोन में पहुंच गया है. इसी तरह ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क 5 में वायु सूचकांक 310 पर पहुंचा हुआ है. वहीं गाजियाबाद के लोनी इलाके में स्थिति और भी गंभीर हो चुकी है. यहां पर वायु सूचकांक 335 पर पहुंच गया है. इससे बुजुर्ग और बच्चों के लिए हवा हानिकारक साबित हो रही है. आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत आ रही है.
जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग ने इससे निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है. दीपावली के पहले ही प्रदूषण का स्तर रेड जोन में पहुंचने से ग्रैप की गाइडलाइन के अनुसार पाबंदियां बढ़ाई जा सकती हैं. इसका कारण ये है कि जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है. खुले में हो रहे निर्माण कार्यों पर किसी तरीके का कोई प्रतिबंध नहीं लगा है, ना ही वो किसी मानकों का पालन कर रहे हैं. इसी वजह से धीरे-धीरे वायु गुणवत्ता खराब होती दिखाई दे रही है. कुछ दिनों बाद दिवाली में पटाखों के चलते और अन्य राज्यों में पराली जलाए जाने के चलते भी प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा खतरनाक होने की उम्मीद है.