बच्चा रहे हमेशा कोंफिडेंट इसके लिए उसे बोलना सिखाएं ये 5 स्ट्रोंग लाइंस, कभी खुद को नहीं समझेगा किसी से कम 

Parenting Tips: बहुत से बच्चे कम उम्र से ही कोंफिडेंट होते हैं. उन्हें किसी के सामने कुछ कहने या करके दिखाने में झिझक नहीं होती और ये बच्चे जीवन के हर क्षेत्र में आगे रहते हैं. लेकिन, इस कोंफिडेंस की वजह क्या होती है? इस कोंफिडेंस की वजह होती है बच्चे का खुद पर विश्वास करना. यह विश्वास बच्चों में अपने अंतर्मन में कही बातों से भी आता है तो कई बार माता-पिता की बातें बच्चों को आत्मविश्वासी बनाती हैं. अपने बच्चों को कोंफिडेंट बनाने के लिए आप भी उन्हें ऐसी पॉजीटिव बातें बोलना सिखा सकते हैं जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगे. खुद से ये स्ट्रोंग लाइंस (Strong Lines) बोलकर ना सिर्फ बच्चों का कोंफिडेंस बढ़ेगा बल्कि किसी भी मुश्किल घड़ी से निकलने का हौंसला भी उनमें आएगा. 

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बच्चों में कोंफिडेंस बढ़ाने वाली बातें | Affirmations That Build Confidence In Kids 

“मैं जैसा हूं वैसे ही प्यार के काबिल हूं” 

बच्चे का सेल्फ कोंफिडेंस बढ़ाने के लिए उसे यह पंक्ति सिखाई जा सकती है. बच्चों को समझाएं कि वे जैसे हैं वैसे ही मूल्यवान हैं और प्यार के काबिल हैं. अपनी सेल्फ वर्थ समझने के लिए उन्हें किसी की वेलिडेशन या रजामंदी की जरूरत नहीं है. 

“मैं परेशानी का हल ढूंढ सकता हूं” 

किसी भी मुश्किल से निकलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है खुद पर विश्वास करना. माता-पिता को अपने बच्चे को यह बोलना जरूर सिखाना चाहिए कि वह किसी भी परेशानी का हल ढूंढ सकता है. जब कोई मुश्किल आए तो बच्चे को खुद से यह जरूर कहना चाहिए कि मैं किसी भी परेशानी का हल ढूंढ सकता हूं. बच्चे का आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ने लगेगा. 

“मैं बहादुर हूं और मुझे हार नहीं माननी है” 

किसी परिस्थिति से पार पाने के लिए और हमेशा अपना बेस्ट देते रहने के लिए बच्चे को यह पंक्ति खुद से जरूर कहनी चाहिए. इससे बच्चे में कोंफिडेंस आता है. इससे बच्चा हार मानने के बजाय आगे बढ़ता जाता है. 

“मेरे विचार मैटर करते हैं”

कई बार बच्चे किसी काम को इसलिए नहीं करते या फिर किसी के सामने अपनी बात रखने से झिझकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बात का कोई मूल्य नहीं है. लेकिन, बच्चे को यह समझाना और यह कहना सिखाना जरूरी है कि उसके विचार मैटर करते हैं. जब बच्चे खुद से यह कहने लगते हैं तो आत्मविश्वास के साथ अपनी बात को आगे रखना भी शुरू कर देते हैं. 

“मैं नई चीजें सीख सकता हूं”

बच्चों को खुद से यह जरूर कहना चाहिए कि वह नई चीजें सीख सकते हैं. इससे बच्चे किसी काम को सीखने (Learning) से घबराते नहीं हैं. बच्चों में इस पंक्ति को कहने पर नई चीजें सीखने का कोंफिडेंस आता है. 

 

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