संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की जरूरत है. भारत जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. उस हिसाब से उसे UNSC में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए. भारत स्थायी सीट का हकदार है और उसे ये हक मिलना चाहिए. भारत आज के समय में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है. जबकि ग्रेट ब्रिटेन अब ‘ग्रेट’ नहीं रह गया है. ऐसे में उसे UNSC की अपनी स्थायी सीट भारत को दे देनी चाहिए.
UNSC में वीटो की अवधारणा दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद की अवधि के दौरान महान शक्तियों को समायोजित करने के लिए पेश की गई थी. इतने सालों के बाद, स्पष्ट रूप से आज की महान शक्तियों की संरचना को बदलने का समय आ गया है. भारत निर्विवाद रूप से महान शक्तियों में से एक है. ब्रिटेन आर्थिक रूप से नीचे गिर रहा है और एक खोया हुआ देश है.
मैं जानता हूं कि भारत में कई लोग अभी भी कुछ हद तक पश्चिम की ओर देखना चाहते हैं, लेकिन पश्चिम पूरी तरह से खो गया है. यह भू-राजनीतिक और आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि घरेलू स्तर पर भी पश्चिम संकट में है. भविष्य में विकास यहीं एशिया में होने वाला है. यूरोप में नहीं. अमेरिका फिर भी विकास करेगा. अगर भारत ने यूक्रेन समस्या का शांतिपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश में अपना योगदान बढ़ाया, तो यह एक जबरदस्त योगदान होगा.
इसी तरह, भारत उन कुछ देशों में से एक है जो विरोधी पक्षों से बात कर सकता है. वह इजरायल से बात कर सकता है. रूस से बात कर सकता है. ईरान से भी उसकी अच्छी दोस्ती है. निश्चित रूप से सभी अरब देशों से बात कर सकता है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में भी भारत एक चिंताजनक समस्या को हल करने में बड़ा योगदान दे सकता है.
मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत अपना पक्ष अधिक स्पष्टता से रखे. यूके को धक्का दें और कहें, ठीक है, आपका दिन अच्छा रहा. यह आपके लिए आगे बढ़ने का समय है. अगर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन की सीट लेता है, तो दुनिया खुश होगी. क्योंकि वे जानते हैं कि भारत एक ऐसा नजरिया देगा, जिसे पश्चिम, पूर्व और उत्तर सभी समझेंगे और पसंद भी करेंगे.
किशोर महबूबानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. वो फिलहाल एशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रतिष्ठित फेलो हैं.