Constitution of India Importance: संविधान@75 के ‘NDTV INDIA संवाद’ में संविधान पर चर्चा करने जस्टिस एके सीकरी, संविधान के जानकार फैजान मुस्तफा और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी पहुंचे तो इसके सभी पहलुओं पर बात हुई. जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि संविधान बने 75 साल हो गए. थॉमस जेफरसन ने 150 साल पहले कहा था कि कोई भी संविधान 17 या 19 साल बाद बदल देना चाहिए. उस समय के दुनिया के संविधान को देखकर उन्होंने कहा था. उस समय अमेरिका का संविधान नया था. आज हमारा संविधान 75 साल हो गए. इस बीच हमारे आसपास और दुनिया के कई देशों का संविधान बदल गया. कइयों के तो 3-4 बार संविधान बदल चुके हैं. हमारे संविधान की खासियत ये है कि मानव अधिकारों का खास ख्याल रखा गया था. 220 के करीब संविधान बनाने वाले लोग थे, उनमें विविधता थी. कोई नेता था, तो कोई संविधान विशेषज्ञ. गुलामी की यातना सभी को याद थी. सभी देशों के सिस्टम और संविधान को देखा गया. सबसे अच्छी बात ये रखी गई कि बहुमत को सत्ता तो दी गई, लेकिन ये भी कहा गया कि आप किसी भी तरह का फैसला सरकार चलाते समय नहीं ले सकते. कितनी भी बड़ी बहुमत वाली सरकार को संविधान के हिसाब से काम करना होगा.
फैजान मुस्तफा ने क्या कहा?
संविधान के जानकार फैजान मुस्तफा ने कहा कि भारत को संविधान या किसी भी देश का संविधान एक पवित्र संविदा है लोगों और सरकार के बीच में. 66 ऐसे देश हैं, जिनकी प्रस्तावना ईश्वर से शुरू होती है. संविधान सभा में हमारे यहां भी संविधान की प्रस्तावना में ईश्वर शब्द का प्रस्ताव किया गया था. हम धार्मिक लोग हैं फिर भी वोटिंग हुई तो ईश्वर या गॉड संविधान में नहीं लिए गए.ये भी विविधताओं को मैनेज करने का एक साधन है.न सिर्फ हम विश्व से सीखते हैं, वैसे ही विश्व भी हमसे सीखता है. हमने अपने संविधान में दूसरे देशों से लिया बहुत कुछ है, लेकिन उसमें कुछ जोड़कर या संसोधन करके. संविधान का मूल उद्देश्य शक्ति देना नहीं, बल्कि शक्ति पर नियंत्रण रखना है. राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार और यहां तक की सुप्रीम कोर्ट का नाम जरूर सुप्रीम है, लेकिन वो भी सुप्रीम नहीं है. ये सब संविधान के अधीन हैं.
एसवाई कुरैशी ने क्या कहा?
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि इंडिया से ज्यादा विविधता वाला देश कोई नहीं है. यही हमारी ईमानदारी है. हिंदुस्तान का जो इलेक्शन कमीशन है, उसका कमीशन सबसे पहले बना था और यही इसकी महत्ता बताता है.यूरोप के 50, अफ्रीका के 54 देश हैं उससे बड़ा हमारा देश का चुनाव है. 90 देशों के बराबर भारत का एक चुनाव है. हिलेरी क्लिंटन ने तो कहा था कि ये गोल्ड स्टैंडर्ड है. शांतिपूर्ण चुनाव का सबसे बड़ा फायदा है कि सत्ता का हस्तांतरण हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से हुआ. कभी इलेक्शन चैलेंज नहीं हुए. अमेरिका तक का चुनाव 2020 में उन्होंने चैलेंज तक कर दिया और हिंसा तक हुई. हिंदुस्तान में एक वोट से हारने वाला भी हाथ जोड़कर दूसरे को कुर्सी हाथ जोड़कर देता है.