डिजिटल होती दुनिया में कई नई चीजें चुनौती बनकर हमारे साथ जुड़ती जा रही हैं. ऐसा ही एक चैलेंज है- ब्रेन फॉग. नींद की कमी, अधिक काम करने, तनाव और स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण ब्रेन फॉग (Brain Fog) हो सकता है. यानी आपका मस्तिष्क जब किसी धुंध या असमंजस जैसी स्थिति में पहुंच गया है तो इसे ब्रेन फॉग कहा जाता है.
वैसे स्पष्ट तौर पर इस बीमारी के बारे में बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता, फिर भी डॉक्टरों का मानना है कि कुछ कारण ऐसे हैं, जो परेशानी को बढ़ाते हैं. ब्रेन फॉग से पीड़ित होने पर वृद्ध वयस्कों में भूलने की बीमारी एक आम शिकायत है. इंसान ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है सिर में दर्द और हमेशा बेचैनी होती है.
ब्रेन फॉग: युवाओं में ये परेशानी इन दिनों आम
माना जा रहा है कि युवाओं में ये परेशानी इन दिनों आम हो गई है. सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के बाद वैसे भी मानसिक थकान महसूस होती है. जानकार मानते हैं कि खुद को मल्टी टास्किंग बनाने की जिद, हमेशा कामयाबी के पीछे दौड़ने की चाहत और तथाकथित सफल लोगों के लाइफस्टाइल की नकल भी ब्रेन फॉग की वजहों में शामिल है.
हालांकि, राहत की बात ये है कि ज्यादातर मामलों में ब्रेन फॉग केवल अस्थायी होता है और अपने आप ठीक हो जाता है. वहीं, हार्मोनल चेंजेस भी ब्रेन फॉग को ट्रिगर कर सकते हैं. खासकर पीरियड या गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है. ये परिवर्तन याददाश्त को प्रभावित करता है.
विटामिन बी12 स्वस्थ मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर करता है. विटामिन बी12 की कमी भी ब्रेन फॉग का कारण बन सकती है. ब्रेन फॉग कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण भी होत सकता है. इसे कीमो ब्रेन कहा जाता है.
ब्रेन फॉग को लेकर क्या कहते हैं सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. ऋचा सिंह ने कहा कि यदि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग या पोषण की कमी या कमजोर इम्यून सिस्टम, संक्रमण, तनाव या किसी भी प्रकार की पोषण संबंधी कमियों, जैसे कि विटामिन बी-12 या विटामिन डी की कमी या थायरोटॉक्सिकोसिस या हाइपोथायरायडिज्म के रूप में किसी भी प्रकार का हार्मोनल असंतुलन के कारण नींद में अत्यधिक कमी हो, तो इससे मस्तिष्क में धुंधलापन (ब्रेन फॉग) हो सकता है.
मनोवैज्ञानिक ने बताया ब्रेन फॉगसे बचने के तरीके
मनोवैज्ञानिक डॉ. अरविंद ओट्टा ने कहा कि हमें ये समझना होगा कि अगर कोई व्यक्ति अच्छी नींद नहीं ले रहा है, तो उसकी याददाश्त में समस्या होगी, एकाग्रता में समस्या होगी. इसलिए सोने से एक घंटे पहले अच्छी नींद पाने के लिए सोने से एक घंटे पहले हमें किसी भी तरह की स्क्रीन का इस्तेमाल बंद करना होगा. दूसरा, पौष्टिक आहार, अगर कोई व्यक्ति जंक फ़ूड ज्यादा खाता है, तो हमें उसका सेवन बंद करना होगा या उसे काफी कम करना होगा. शारीरिक गतिविधि भी ऐसी चीज़ है जो हमें ब्रेन फॉग से बाहर आने में मदद कर सकती है. शारीरिक गतिविधि का मतलब है कि आप दौड़ना, योग, ध्यान भी कर सकते हैं, जो व्यक्तियों की मदद कर सकता है. सबसे अहम, डिजिटल अति उत्तेजना से बचना है.
कोराना का असर ये भी हुआ कि लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया. डिजिटल दुनिया से आप खुद को अलग भी नहीं रख सकते. लेकिन ब्रेन फॉग जैसी बीमारी से बचने के लिए एक संतुलन तो बनाना ही होगा.