जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2024) के बाद अब चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र-झारखंड में चुनाव कराने के लिए कमर कस ली है. इसी सिलसिले में विधानसभा चुनावों से पहले अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर दिए गए आदेश का पालन न करने पर चुनाव आयोग (Election Commission) ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और DGP से जवाब मांगा है. इस बीच चुनाव आयोग ने झारखंड (Jharkhand Elections 2024) का दौरा पूरा कर लिया है. शुक्रवार को EC ने महाराष्ट्र (Maharashtra Elections 2024) का दौरा भी किया. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आने हैं. माना जा रहा है कि उसके आसपास महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का ऐलान संभव है. ज्यादातर राजनीतिक दलों की मांग है कि फेस्टिव सीजन को ध्यान में रखकर दोनों राज्यों में एक ही चरण में चुनाव कराए जाएं. अभी चुनाव आयोग को इसपर अंतिम फैसला लेना है.
आइए समझते हैं झारखंड और महाराष्ट्र में क्या बन रहे हैं सियासी समीकरण? अभी कौन सी पार्टी का दिख रहा दम? पिछले चुनाव में किस पार्टी का कैसा रहा था प्रदर्शन:-
2019 के चुनाव में क्या हुआ था?
-महाराष्ट्र में एक ही चरण में मतदान हुआ था. 21 अक्टूबर 2019 को वोट डाले गए थे.
-जबकि झारखंड में 5 चरणों में चुनाव कराए गए थे.
-झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच मतदान हुए थे.
-2019 में 27 अक्टूबर को दीवाली थी. 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक छठ पूजा थी.
-चुनाव कार्यक्रम बनाते समय इन 2 बड़े त्योहारों का ध्यान रखा गया था.
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ऐसे में माना जा रहा है कि हरियाणा में जो हुआ, उससे सबक लेते हुए चुनाव आयोग त्योहारों को ध्यान में रखकर ही अपना कार्यक्रम बनाएगा. चुनाव आयोग ने पहले हरियाणा में पहले 1 अक्टूबर को मतदान की तारीख तय की थी. नतीजे 4 अक्टूबर को आने थे. बाद में बिश्नोई समाज के सदियों पुराने त्योहार के चलते डेट में बदलाव किए गए. 5 अक्टूबर को वोटिंग की डेट रखी गई. नतीजे 8 अक्टूबर को आने हैं.
झारखंड चुनाव को लेकर क्या है BJP की रणनीति?
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर BJP अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई है. विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर शुक्रवार को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक हुई. BJP झारखंड में AJSU और JDU के साथ तालमेल कर रही है. सीटों की संख्या और किस सीट पर कौन लड़ेगा, इस पर बातचीत हो रही है. AJSU ने चुनाव लड़ने के लिए 11-12 सीटें मांगी हैं. जबकि JDU 4 से 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. BJP झारखंड में जीतनराम मांझी और चिराग पासवान के साथ भी हाथ मिला सकती है. गठबंधन होने पर BJP मांझी और चिराग की पार्टी को भी कुछ सीटें दे सकती है.
क्या है महागठबंधन की रणनीति?
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के घटक दल भी सीट शेयरिंग पर लगातार बात कर रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने एक खास रणनीति यह बनाई है कि महागठबंधन की सरकार में शुरू की गई जनकल्याणकारी और फ्लैगशिप योजनाओं को प्रचारित-प्रसारित करने में पार्टी कार्यकर्ता अपनी विशेष भूमिका निभाएंगे. इसके लिए 29 सितंबर को रांची में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. जिसमें महागठबंधन सरकार की योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ सरकार की उपलब्धियों का दस्तावेज दिया जाएगा. ताकि वह अपने-अपने क्षेत्र में सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचा सकें.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने बताया कि इसके अलावा झारखंड की जनता के प्रति समर्पित चुनावी घोषणा पत्र निर्माण, रायशुमारी और सर्वे के आधार पर विधानसभा चुनाव में एक एक सीट पर जिताउ उम्मीदवार के चयन की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इसके साथ-साथ सभी विधानसभा क्षेत्रों के स्थानीय मुद्दों को भी पार्टी अपनी प्राथमिकता में रखेगी.
झारखंड विधानसभा का समीकरण
झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं. इसका कार्यकाल 4 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है. अभी वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) गठबंधन की सरकार हैं. कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और CPI(ML) इस गठबंधन में शामिल हैं. 2019 के इलेक्शन में JMM ने 29 सीटें जीती. RJD ने एक सीट जीती थी. कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि CPI (ML) के खाते में एकमात्र सीट आई थी. दूसरी ओर BJP की अगुवाई वाले NDA गठबंधन ने 32 सीटें जीती. BJP ने 26, NCP(AP) ने 1, AJSU ने 3 सीटें जीती. 2 निर्दलीय विधायकों ने भी NDA को समर्थन दिया.
2 मजबूत नेताओं ने छोड़ा JMM का साथ
हेमंत सोरेने के जेल जाने और चंपई सोरेन को CM बनाने के बाद JMM में बगावत के सुर निकले थे. तब हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने पार्टी छोड़कर BJP ज्वॉइन कर ली थी. सीता, शिबू सोरेन के दिवंगत बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. फिर जब हेमंत सोरेन जेल से जमानत पर बाहर आएं और फिर से CM बने, तो चंपई सोरेन भी बागी हो गए. बाद में उन्होंने भी BJP का दामन थाम लिया.
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लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड में किस पार्टी को मिली कितनी सीटें?
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से BJP को 8 सीटों पर जीत मिली. AJSU एक सीट जीत सकी. जबकि INDIA गठबंधन में कांग्रेस ने 2 सीटें अपने नाम कीं. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर क्या है महायुति की रणनीति?
महाराष्ट्र में BJP, एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट के गठबंधन को महायुति कहा जाता है. सीटों के बंटवारे को लेकर ए महायुति ने 31 अगस्त को दूसरे दौर की बैठके की. बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में महाराष्ट्र की 288 में से 173 सीटों पर सहमति बन गई है. BJP सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके बाद शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार गुट को सीटें मिलेंगी. बाकी की 115 सीटों पर बैठक में फैसला होगा. सीट शेयरिंग फाइनल करने के लिए 2-3 दौर की मीटिंग और होगी.
महा विकास अघाड़ी की कैसी है तैयारी?
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे गुट के गठबंधन को महा विकास अघाड़ी कहा जाता है. सीट बंटवारे को लेकर महा विकास अघाड़ी (MVA) ने 18 से 20 सितंबर तक मुंबई में बैठक की थी. गठबंधन में शामिल किस पार्टी को कितनी और कहां की सीटें मिलेंगी, इस फॉर्मूले पर अभी मंथन चल रहा है. बताया जा रहा है कि सीट बंटवारे का फैसला उम्मीदवारों की जीत की संभावना के आधार पर तय होगा. कांग्रेस महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से करीब 110- 120 सीटों पर लड़ना चाहती है. अभी कुछ तय नहीं हो पाया है.
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महाराष्ट्र विधानसभा का समीकरण
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं. मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है. यहां आखिरी बार 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे. BJP इलेक्शन में 106 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. लेकिन CM पद को लेकर शिवसेना (अविभाजित) और BJP के बीच तकरार हो गई. आखिर में 25 साल का यह गठबंधन टूट गया. बाद में 56 विधायकों वाली शिवसेना ने कांग्रेस (44 सीटें) और शरद पवार की NCP (53 सीट) के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी नाम से गठबंधन कर लिया. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बने.
अजित पवार ने की बगावत
इस बीच शरद पवार के बेटे अजित पवार ने बगावत की और सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर शपथ ले ली. हालांकि, शरद पवार ने इस बगावत को खत्म कर दिया और अजित पवार को वापस लेकर आए. बाद में महाविकास अघाड़ी सरकार में अजित पवार डिप्टी CM बनाए गए.
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एकनाथ शिंदे ने BJP के साथ मिलकर बना ली सरकार
इसके बाद मई 2022 में महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी. शिंदे BJP के साथ हो लिए. 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी CM बने.
शिवसेना हुई दो फाड़
इस बगावत के बाद शिवसेना दो फाड़ हो गई. एक धड़ा शिंदे गुट बना. दूसरा धड़ा उद्धव गुट कहलाया. मामला कोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुंचा. फिर 17 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना. चुनाव आयोग ने ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ भी एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया. जबकि उद्धव गुट को नया नाम दिया गया. इस गुट को शिवसेना (UBT) नाम मिला. जलती मशाल चुनाव चिह्न मिले.
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अजित पवार ने फिर की बगावत
इसके बाद 2023 में अजित पवार ने फिर से बगावत कर दी. वो अपने समर्थक विधायकों के साथ BJP-शिंदे सरकार में शामिल हो गए. अजित पवार को फडणवीस के बाद दूसरा डिप्टी CM बना दिया गया. शिवसेना की तरह NCP भी दो धड़ों में बंट गई. ये मामला भी कोर्ट और चुनाव आयोग तक गया. बाद में संख्या के आधार पर चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को ही असली NCP माना. पार्टी का चुनाव चिह्न घड़ी भी अजित गुट को दे दी गई. जबकि शरद पवार गुट को नया नाम NCP (शरद चंद्र पवार) नाम दिया गया.
लोकसभा चुनाव में किसे मिले कितनी सीटें?
2024 के लोकसभा चुनाव में BJP ने भारी जीत का दावा किया था. लेकिन उसे सिर्फ 9 सीटें मिलीं. INDIA ब्लॉक ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में BJP ने जहां 9 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं NCP (अजित पवार गुट) ने एक सीट जीती. शिव सेना (शिंदे गुट) को 7 सीटों पर जीत मिली. दूसरी ओर, INDIA ब्लॉक में शामिल कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं. शिवसेना (UBT) ने 9 सीटों पर जीत हासिल की. NCP शरद चंद्र पवार ने 8 सीटें अपने नाम कीं. सांगली सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर NDTV ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ओपी रावत, वरिष्ठ पत्रकार विजय सोरमारे, वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह से बात की. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ओपी रावत ने कहा, “महाराष्ट्र की नई विधानसभा 26 नवंबर के पहले गठित होनी जरूरी है. चुनाव की घोषणा होने से परिणाम निकलने तक का समय करीब 40 दिन जरूरी होता है. इसका मतलब यह हुआ कि 26 दिन तो आपके पास नवंबर में हैं. और अगर 14 दिन अक्टूबर में निकाल लिया जाए तो 17 अक्टूबर के पहले चुनाव की घोषणा होनी जरूरी है.”
क्या झारखंड में एक फेज में ही चुनाव कराए जा सकते हैं? इसके जवाब में राजेश सिंह ने बताया, “झारखंड में एक चरण में चुनाव कराना संभव नहीं है. बेशक सरकार नक्सलवाद खत्म होने का दावा करती है. लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है. नक्सली एक-दो ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. नक्सल एक समस्या है. कहीं न कहीं नक्सली चुनाव के माहौल को डिस्टर्ब करते हैं. चूंकि, झारखंड एक पहाड़ी इलाका है, लिहाजा एक साथ चुनाव करना मुमकिन नहीं लगता. राज्य में कम से कम 3 फेज में चुनाव कराए जा सकते हैं.”
विजय सोरमारे बताते हैं, “महाराष्ट्र में एक फेज में चुनाव कराने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. वहां नक्सलवाद की समस्या नहीं है. जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव के रिजल्ट के दिन यानी 8 अक्टूबर से पहले ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के शेड्यूल का ऐलान होगा, ऐसा भी संभव नहीं लगता है. क्योंकि 8 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी मुंबई दौरा है.”