महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की समयसीमा समाप्त होने के साथ ही यह बात सामने आई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने सबसे अधिक विधायकों के टिकट काट दिये हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जहां आठ विधायकों के टिकट काटे हैं, जबकि कांग्रेस ने पांच विधायकों को टिकट न देने का फैसला किया है.
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने दो-दो मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं देने का विकल्प चुना है.
टिकट से वंचित अन्य मौजूदा विधायकों में अरनी से संदीप धुर्वे और उमरखेड से नामदेव सासने शामिल हैं, जिनकी जगह राजू तोड़सम और किसन वानखेड़े को टिकट दिया गया है.
भाजपा ने आर्वी से दादा केंचे और नागपुर (मध्य) से विकास कुंभारे की जगह क्रमशः सुमित वानखेड़े और प्रवीण दटके को टिकट दिया है. वानखेड़े पहले भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सहायक के रूप में काम कर चुके हैं, जबकि दटके पार्टी के मौजूदा विधान पार्षद हैं. दिलचस्प बात यह है कि चिंचवाड़ से अश्विनी जगताप की जगह उनके देवर शंकर जगताप को टिकट दिया गया है.
पार्टी ने कल्याण (पूर्व) से जेल में बंद विधायक गणपत गायकवाड़ की पत्नी सुलभा गायकवाड़ को भी टिकट दिया है, जिन पर कथित तौर पर पुलिस स्टेशन के अंदर शिवसेना के एक प्रतिद्वंद्वी पर गोली चलाने का आरोप है.इस बीच, वाशिम से चार बार के विजेता लखन मलिक की जगह श्याम खोड़े को टिकट दिया गया है.
कांग्रेस पार्टी ने पांच मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं. हेमंत ओगले श्रीरामपुर से चुनाव लड़ेंगे, जहां वह लहू कनाडे की जगह लेंगे, जबकि पूर्व जिला परिषद अधिकारी राजकुमार पुरम आमगांव में सहसराम कोरोटे की जगह लेंगे. उल्लेखनीय है कि शिरीष चौधरी दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि उनके बेटे धनंजय रावेर से चुनाव लड़ेंगे.
पार्टी ने अमरावती और इगतपुरी सीट से सुलभा खोडके और हीरामन खोसकर को भी पार्टी-विरोधी गतिविधियों के कारण हटा दिया है, दोनों उम्मीदवारों को अब अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा से नामांकन मिल गया है.
शिवसेना ने पालघर से विधायक श्रीनिवास वांगा और चोपडा से लता सोनावणे को टिकट देने से इनकार कर दिया. उनकी जगह क्रमश: पूर्व लोकसभा सदस्य राजेंद्र गावित और चंद्रकांत सोनावणे को टिकट दिया गया है.