मेरी 13 साल की बेटी का बॉयफ्रेंड है, क्या करूं?

How to Manage Teenage Relationships: मेरी 13 साल की बेटी का स्कूल में बॉयफ्रेंड है, क्या करूं? हाल ही में ये सवाल हमें एक पाठक ने मेल के जरिए भेजा. अपने मेल में उन्होंने और भी डीटेल में बात की और बताया कि हाल ही उनकी बेटी ने इस बारे में उनसे बात की और बताया कि उसे वह लड़का बहुत पसदं है और उसने लड़के के प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लिया है. लड़का उससे एक क्लास सीनियर है. वे दोनों एक साथ ही लंच करने जाते हैं और एक दूसरे की कंपनी को बहुत पसंद करत हैं. 

एनडीटीवी सेहत की पाठक का कहना है कि वे समझ नहीं पाईं कि वे कैसे रिएक्ट करें. उन्होंने बात का रफा-दफा तो कर दिया, लेकिन वे इस पर वक्त के लिहाज से एक सही एक्शन लेना चाहती हैं. उन्हें क्या करना चाहिए. तो चलिए आज बात इसी पर. 

आप टीनएज बच्चों के पैरेंट हों और आपको पता चले कि उनके बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड हैं तो चौंकना स्वाभाविक है. साथ ही बतौर पैरेंट्स यह फिक्र होना भी लाजमी है कि क्या करें, उन्हें कैसे समझाएं ताकि बच्चे और हालात दोनों कंट्रोल में रहे. एक्सपर्ट के मुताबिक सबसे पहले तो टिन एज साइकोलॉजी को समझें क्योंकि आप भी इस दौर से जरूर गुजर चुके होंगे. इसके बाद ठंडे दिमाग से अपने बच्चों से बात करें. इसके अलावा भी ढेर सारे उपाय हैं जो एक माता या पिता अपने बच्चों के साथ आजमा सकते हैं.

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पहले तो खुद समझें : 

सबसे पहले तो आप खुद समझें कि हॉर्मोन्स में बदलावों के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण सामान्य है. किशोर से नौजवान हो रहे लड़के या लड़कियों में हॉर्मोन्स में बदलावों के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का होना एकदम नेचुरल है. टीनएज में बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड होने की यही सबसे बड़ी वजह भी है. इसलिए बतौर पैरेंट या गार्जियन अपने बच्चों को सबसे पहले यह सिखाएं कि वह अपनी भावनाओं को कैसे कंट्रोल या मैनेज करें.

बच्चे को आत्म सम्मान की अहमियत और सामाजिक हदों के बारे में बताएं

अपने बच्चों को आत्मसम्मान की अहमियत और सामाजिक हदों के बारे में जरूर बताएं. साथ ही अपने बच्चों से रिलेशनशिप के साथ ही एकेडमिक यानी पढ़ाई और हॉबीज यानी करियर की संभावनाओं के बारे में खुलकर डिस्कस करें. उन्हें इन सबके बीच बैलेंस बनाने के लिए आगे बढ़कर सपोर्ट करें. आप यकीन मानिए, अपने बच्चों के साथ पूरे भरोसे और खुले दिमाग से बातचीत कर उन्हें फीलिंग्स और जिम्मेदारी दोनों को हैंडल करना सिखा सकते हैं.

सकारात्मक सोच लेकर अपने परिवार में नई परंपरा स्थापित करें

एक्सपर्ट के मुताबिक, ज्यादातर माता-पिता इसलिए अपने जवान हो रहे बेटे या बेटियों के साथ खुलकर बातचीत करने में कंफर्टेबल नहीं हो पाते क्योंकि उनके पैरेंट्स ने भी उनसे ऐसे बात नहीं की होती है. इसलिए आप आगे बढ़कर नई परंपरा बनाएं और सकारात्मक सोच लेकर अपने बच्चों के साथ प्यार, इश्क और मोहब्बत जैसे मुद्दों पर डिस्कस करें. आपको जल्द ही अपने बच्चों में बेहतर बदलाव दिखेगा.

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