आज की डेट में भारत का शायद ही कोई शहर या कस्बा होगा, जहां मोमोज़ का एक ठेला न हो. यहां तक कि गांवों में भी लोग मोमोज़ और उसकी लाल चटनी के दीवाने हैं. हालांकि जब मोमोज़ जैसी एक और डिश डिमसम की बात आती है, तो बहुत कम लोग ये समझ पाते हैं कि ये दोनों अलग-अलग क्यों हैं?
