ये प्रोटीन डालता है हेल्दी इम्यून सेल्स पर बुरा असर, बढ़ने लगता है अल्जाइमर का खतरा : स्टडी

वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि एपीओई4 प्रोटीन ब्रेन में हेल्दी इम्यून सेल्स माइक्रोग्लिया पर असर डाल सकती है. इस वजह से माइक्रोग्लिया हानिकारक साबित हो सकता है. यही माइक्रोग्लिया ब्रेन की रक्षा में तैनात रहते हैं और किसी भी गैर जरूरी या हानिकारक प्रोटीन को हटाने में मददगार साबित होते हैं, लेकिन एपीओई4 प्रोटीन की मौजूदगी में ये काम नहीं कर पाते हैं. अध्ययन के लिए अमेरिका में ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर का अध्ययन करने के लिए एक काइमेरिक चूहे का मॉडल बनाया. चूहे के मॉडल में न केवल मानव एपीओई जीन है, बल्कि टीम ने चूहों के दिमाग में एपीओई 4 प्रोटीन बनाने वाले मानव न्यूरॉन्स भी प्रत्यारोपित किए हैं.

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शोध में क्या कहा गया?

जर्नल सेल स्टेम सेल नामक पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि ऐसी दवाएं जो न्यूरॉन्स में एपीओई4 लेवल को कम कर सकती हैं या माइक्रोग्लिया की संख्या या उनकी सूजन संबंधी एक्टिविटी लेवल को कम कर सकती हैं वो एपीओई4 जीन वाले लोगों को अल्जाइमर रोग से बचाने या उन्हें रोकने में कारगर साबित हो सकती हैं.

ग्लेडस्टोन के वरिष्ठ अन्वेषक याडोंग हुआंग ने कहा, “अल्जाइमर रोगियों में माइक्रोग्लिया को कम करने वाली दवाएं अंततः रोग के उपचार में उपयोगी हो सकती हैं.”

चूहों पर किया अध्ययन:

बड़ी बात यह है कि टीम ने ब्रेन के परिपक्व होने के बाद चूहों के मॉडल में न्यूरॉन्स प्रत्यारोपित किए. इसके बाद टीम ने चूहों के दिमाग से माइक्रोग्लिया हटा दिया. शोधकर्ताओं ने पाया कि बढ़ती उम्र वाले चूहों में एमिलॉयड और ताओ ज्यादा जमने लगा. इसके अलावा एक दवा का उपयोग करके टीम ने काइमेरिक चूहों के ब्रेन से चुनिंदा रूप से माइक्रोग्लिया को हटा दिया.

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इसकी वजह से मानव एपीओई4 न्यूरॉन्स वाले चूहों में एमिलॉयड और टाउ में गिरावट आई. यह गिरावट दर्शाती है कि एपीओई 4 और माइक्रोग्लिया अल्जाइमर रोग की विशेषताओं को संचालित करने के लिए एक साथ काम करते हैं. टीम ने यह भी पाया कि जब एपीओई 4 और एपीओई 3 युक्त मानव न्यूरॉन्स मौजूद रहते हैं, तो माइक्रोग्लिया में सूजन पैदा करने वाले मॉलिक्यूल्स लेवल भी बढ़ जाता है.

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