यूपी के रायबरेली से कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अदाणी ग्रुप पर अपने लगातार आरोपों को लेकर घिरते जा रहे हैं. राहुल गांधी ने अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को लेकर अदाणी ग्रुप पर कई संगीन आरोप लगाए. लेकिन अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) ने स्टॉक एक्सचेंज में अपनी फाइलिंग में बता दिया है कि अमेरिका में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जो आरोप उसपर लगे थे, वे पूरी तरह गलत हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि अदाणी ग्रुप को लेकर राहुल गांधी की निजी नफरत इतनी है कि वो कुछ भी कहने को तैयार रहते हैं. भले ही वो बातें आधारहीन ही क्यों न हो.
अदाणी मामले को लेकर NDTV ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील महेश जेठमलानी से बात की. राहुल गांधी ने अदाणी मामले में इतनी जल्दी क्यों दिखाई? इसके जवाब में जेठमलानी ने कहा, “गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिका में रिश्वत का मामला कंफर्म नहीं है. कोई सबूत नहीं है. राहुल झूठे आरोप लगा रहे हैं. जब वहां रिश्वत देने के कोई सबूत ही नहीं हैं, तो ये बात कहां से आई कि देश में हमारे एजेंसियों को अलर्ट होना चाहिए. अमेरिका में ये इल्जाम नहीं है कि किसी को पैसे खिलाए गए.”
क्या राहुल गांधी देश विरोधी ताकतों के गोद में बैठे है? इसके जवाब में महेश जेठमलानी कहते हैं, “ऐसा लगता है कि राहुल गांधी में अदाणी के खिलाफ निजी नफरत इतनी है कि वो कुछ भी कहने के लिए तैयार हैं. बिना सबूतों के वह अनाप-शनाप आरोप लगाते रहते हैं.”
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— NDTV India (@ndtvindia) November 27, 2024
जेठमलानी कहते हैं, “राहुल गांधी जो कर रहे हैं, उसका किसी को फायदा नहीं है. लेकिन नुकसान देश को है, देश के निवेशकों को है.”हमारे रिटेल इंवेस्टर्स को हिंडनबर्ग रिसर्च ने जिस तरह से नुकसान पहुंचाया और अब तो अमेरिकी जांच को लेकर हमले हुए हैं… उसे किसे नुकसान हुआ? सबसे ज्यादा नुकसान तो रिटेल इंवेस्टर्स को हुआ है.”
सीनियर वकील जेठमलानी कहते हैं, “अदाणी पर अमेरिका में लगे आरोप का मामला इतना बड़ा नहीं है, जो इसपर JPC बनाई जाए. जो आरोप लगे हैं, वो बिना किसी सबूत के हैं. अगर अमेरिका ने सबूत पेश किए, उसके बाद भारत में संबंधित अधिकारी इस मामले को देखेंगे. JPC तब बनाई जानी चाहिए, जब पब्लिक डोमेन में ये सबूत आए.”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस समझती है कि जो भी काम विदेशी ताकतों से होता है, उसपर हमें आंख बंद करके भरोसा कर लेना चाहिए. इन बातों को भारत में भी आगे बढ़ाना चाहिए. ये सोच गलत है. आरोप तो हैं, लेकिन सबूत तो है ही नहीं. अगर सबूत नहीं है, तो आरोप सही कैसे हो सकते हैं.”