रेप के आरोपी ने लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट दिखाकर हासिल की कोर्ट से ज़मानत

पश्चिमी देशों में ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ और ऐसे रिश्तों के लिए किए जाने वाले एग्रीमेंट प्रचलित हैं, लेकिन अब इस तरह के एग्रीमेंट भारत में भी दिखने लगे हैं. मुंबई में रेप के एक आरोपी को इसी तरह के एग्रीमेंट की बदौलत अदालत से अग्रिम ज़मानत मिल गई है. मुंबई की सत्र अदालत ने हाल ही में 29 साल की महिला से रेप के आरोपी 47-वर्षीय कोलाबा निवासी को ज़मानत दे दी है.

दरअसल, लिव-इन की महिला पार्टनर की तरफ़ से दायर किए गए रेप के मामले में गिरफ़्तारी से पहले ही ज़मानत हासिल करने के लिए मुंबई निवासी 47-वर्षीय सरकारी कर्मचारी ने ‘लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट’ पेश किया, और दावा किया कि एग्रीमेंट में लिखा है कि दोनों ही एक-दूसरे के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं करवा सकते. कोर्ट ने रेप केस में आरोपित को 29 अगस्त को ज़मानत दे दी थी.

उधर, शिकायतकर्ता महिला ने शादी का वादा कर धोखा देने और ब्लैकमेल करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि दस्तावेज़ पर मौजूद दस्तख़त उसके नहीं हैं. महिला ने 23 अगस्त को कोलाबा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई थी, जिसके बाद आरोपित ने अग्रिम ज़मानत के लिए सत्र अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था और इसी दस्तावेज़ के बूते 29 अगस्त को उसे ज़मानत मिल गई. महिला का आरोप है कि उसके साथी ने उससे शादी करने का वादा किया था और जब वे साथ रह रहे थे, तब उसने कई बार उसके साथ बलात्कार किया. आरोपित की ओर से पेश वकील ने इसे ठगी और धोखाधड़ी का मामला करार दिया है.

पुरुष के वकील सुनील पांडे ने कहा, “आरोपित को मामले में झूठा फंसाया गया है… वह हालात का शिकार है… दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में थे… समझौते से पता चलता है कि दोनों ने रिश्ते में रहने के लिए सहमति दी थी… एग्रीमेंट हुआ, लड़की ने साइन किया… एक दिन, उसने आवेदक को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया… उसने पैसे मांगे और संपत्ति हड़पने की कोशिश की…”

पुलिस के मुताबिक, महिला बुज़ुर्गों की देखभाल करने वाली के तौर पर काम करती है, जबकि आरोपित सरकारी कर्मचारी है. पुलिस अब तथाकथित रिलेशनशिप एग्रीमेंट को वेरिफ़ाई करने की कोशिश में जुटी है.

क्या था रिलेशनशिप एग्रीमेंट में…?

इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि पुरुष और महिला 1 अगस्त, 2024 से 30 जून, 2025 तक लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रहेंगे.दूसरे क्लॉज़ में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान वे एक-दूसरे के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का कोई मामला दर्ज नहीं कराएंगे और अपना समय शांति से साथ-साथ बिताएंगे.तीसरे क्लॉज़ में कहा गया है कि महिला पुरुष के साथ पुरुष के घर पर रहेगी और अगर उसे पुरुष का व्यवहार ठीक नहीं लगता है, तो वे एक महीने के नोटिस के बाद कभी भी अलग हो सकते हैं.चौथे क्लॉज़ में कहा गया है कि उनके साथ रहने के दौरान महिला के रिश्तेदार उनके घर नहीं आ सकते.पांचवें क्लॉज़ के अनुसार, महिला पुरुष का कोई भी उत्पीड़न नहीं करेगी और न ही उसे कोई मानसिक पीड़ा पहुंचाएगी.छठे क्लॉज़ में कहा गया है कि अगर महिला गर्भवती हो जाती है, तो उसके लिए पुरुष को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए और वही (महिला ही) पूरी तरह ज़िम्मेदार होगी.सातवें क्लॉज़ में कहा गया है कि अगर उत्पीड़न के कारण पुरुष को मानसिक आघात पहुंचा, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो गया, तो महिला को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top