वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस या पेट का फ्लू क्यों होता है? एक्सपर्ट से जानिए कारण, जटिलताएं, लक्षण, इलाज और रोकथाम के उपाय

वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस या स्टमक फ्लू पेट और आंत का एक संक्रमण है. नाम से ही जाहिर है कि यह वायरस के कारण होता है. इसके संक्रमण से दस्त और उल्टी होती है. इसलिए कभी-कभार ‘पेट का फ्लू’ भी कहा जाता है. इससे पीड़ित लोगों की हालत अचानक बेहद खराब हो जाती है. मरीज की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का ठिकाना नहीं रहता. आइए, एक्सपर्ट  से जानते हैं कि वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस क्यों और कैसे होता है? साथ ही इसके लक्षण और इलाज के साथ ही रोकथाम के उपायों के बारे में भी जानते हैं.

किन वजहों से होता है वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस? (What causes viral gastroenteritis?)

गैस्ट्रोएंटेराइटिस एक शख्स या एक ही तरह के भोजन करने और पानी पीने वाले लोगों के समूह को प्रभावित कर सकता है. इसके रोगाणु आपके शरीर में कई तरीकों से दाखिल हो सकते हैं. इनमें सीधे भोजन करने या पानी पीने से, प्लेटों और खाने के बर्तनों जैसे सामानों के जरिए और नजदीकी संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलना शामिल है. छोटे बच्चे और कमजोर इम्यूनिटी वाले बड़े लोग भी गंभीर संक्रमण के लिए सबसे ज्यादा जोखिम वाले समूह में शामिल होते हैं.

कौन से वायरस फैलाते हैं गैस्ट्रोएंटेराइटिस?

इसके अलावा, कई प्रकार के वायरस गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बन सकते हैं. इनमें नोरोवायरस (नॉरवॉक जैसा वायरस) सबसे आम वायरस है. यह स्कूली बच्चों में आम है. यह अस्पतालों और क्रूज जहाजों में भी प्रकोप का कारण बन सकता है. इसके बाद रोटावायरस बच्चों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस का प्रमुख कारण है. यह वायरस से संक्रमित बच्चों के संपर्क में आने वाले वयस्कों और नर्सिंग होम में रहने वाले लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. इसके अलावा, एस्ट्रोवायरस,
एंटेरिक एडेनोवायरस और कोरोना वायरस भी पेट में फ्लू के लक्षण पैदा कर सकता है.

वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण क्या हैं?

वायरस के संपर्क में आने के 4 से 48 घंटों के भीतर वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं. इसके आम लक्षणों में पेट में दर्द, दस्त, मतली और उल्टी की शिकायत शामिल होती है. वहीं, दूसरे लक्षणों में ठंड लगना, स्किन पर चिपचिपाहट या पसीना आना, बुखार, जोड़ों में अकड़न या मांसपेशियों में दर्द, ठीक से खाना न खाना, वजन कम होना वगैरह शामिल हैं. मेडिकल प्रोफेशनल्स कई बार सूखा या चिपचिपा मुंह, सुस्ती, लो ब्लड प्रेशर, कम पेशाब और आंखें धंसने पर भी वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस की जांच करवाने कहते हैं.

वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस का इलाज क्या है?

टेस्ट में वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस कंफर्म होने के बाद डॉक्टर सबसे पहले मरीज के शरीर में पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ पहुंचाकर हालत स्थिर करते हैं.
दस्त या उल्टी के कारण तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स (नमक और खनिज) को अतिरिक्त तरल पदार्थ पीकर बैलेंस किया जाता है. भोजन के बावजूद थोड़े-थोड़े समय पर तरल पदार्थ पीते रहने को कहा जाता है.

छोटे बच्चों को मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क पिलाया जाता है. गंभीर हालत में मरीज को पानी भी चढ़ाना पड़ सकता है. वहीं, खाने के नाम पर कम मात्रा में अनाज, ब्रेड, आलू, मांस, सादा दही, केला, ताजे सेब और सब्जी दिया जा सकता है. एंटीबायोटिक्स वायरस के लिए काम नहीं करते. इसलिए मरीज को पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है.

वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस की रोकथाम कैसे करें? (How to Prevent Viral Gastroenteritis?)

हम सब जानते हैं कि ज्यादातर वायरस और बैक्टीरिया  गंदे हाथों के चलते एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं. इसलिए वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस या पेट के फ्लू को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि भोजन और पानी को साफ सुथरा रखें. शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं. वहीं, दो  महीने की उम्र से ही शिशुओं को रोटावायरस संक्रमण से बचाने के लिए टीका जरूर लगवाएं.

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