संसद में संविधान पर चर्चा हो रही है. ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवन दर्शन है. संविधान हमारी आवाज है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, ‘विपक्ष में संविधान को बचाने की बात करने वाले लोग बैठे हैं. सावरकर ने स्पष्ट रूप से लिखा था कि संविधान में भारतीयता के बारे में कुछ भी नहीं है, उन्हीं सावरकर को सत्तापक्ष के लोग पूजते हैं.’
‘…तो आप एक तरह से सावरकर का विरोध करते हैं’
लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा, ‘जब हम संविधान को देखते हैं, तो संविधान में महात्मा गांधी, डॉ. बीआर आंबेडकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचार दिखते हैं, लेकिन ये विचार कहां से आए? ये विचार भगवान शिव, गुरु नानक, भगवान बासवन्ना, कबीर आदि से आए हैं. हमारा संविधान हमारी प्राचीन विरासत के बिना नहीं बन सकता था. वीर सावरकर ने अपने लेखों में साफ लिखा है कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है. लड़ाई मनु स्मृति और संविधान के बीच की है. अब सवाल ये है कि आप सावरकर की बात को मानते हैं या फिर संविधान को. क्योंकि जब आप संविधान की तारीफ करते हैं, तो आप एक तरह से सावरकर का विरोध करते हैं.
एकलव्य का दिया उदाहरण
केंद्र सरकार पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘जैसे पहले हिंदुस्तान चलाया जाता था, वैसे ही आज भी चलाने की कोशिश हो रही है. पहले जब मैं जब छोटा था, तब दिल्ली के आसपास, एम्स के पास ही जंगल था. वैसे ही जंगल में हजारों साल पहले एक बच्चा सुबह उठकर तपस्या करता था. हर रोज सुबह वो धनुष उठाकर तीर कमान चलाता था. घंटे उसने तपस्या की और वर्षों तक तपस्या की, उसका नाम एकलव्य था. एकलव्य जब द्रोणाचार्य के पास पहुंचा, तो गुरु द्रोणाचार्य ने उसे सिखाने से मना कर दिया कि आप स्वर्ण जाति से नहीं है, तो मैं आपको नहीं सिखा सकता. लेकिन एकलव्य ने फिर भी धनुष चलाने की प्रैक्टिस की और सीख गया. लेकिन जब द्रोणार्चाय को पता चला, तो उसका अंगूठा ले लिया गया. राहुल गांधी ने कहा कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे हैं. किसानों को प्रताडि़त किया जा रहा है. आज ही किसानों पर लाठीचार्ज हुआ है.
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