लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में शुक्रवार को कहा था कि वह अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की इजाजत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में नहीं है. इसके एक दिन बाद पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी आदेश के खिलाफ अपील करेगी.
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए तर्क दिया कि अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण का मुख्य आधार अस्पृश्यता है, जिसका सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समीक्षा की मांग करेगी.
जाति जनगणना के बारे में पूछे गए एक सवाल पर बीजेपी के प्रमुख सहयोगी ने कहा कि वे गणना के पक्ष में हैं लेकिन नहीं चाहते कि इसके निष्कर्ष सार्वजनिक किए जाएं.
चिराग पासवान ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने उपवर्गीकरण पर फैसला दिया है और मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता जिसे कोर्ट की अवमानना माना जाए, लेकिन हमें इस पर आपत्ति जरूर है. लोकशक्ति पार्टी (रामविलास) सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि जब एससी की बात आती है तो जातियों को अनुसूचित वर्ग में अस्पृश्यता के आधार पर जोड़ा गया था. इसका आधार कभी भी आर्थिक या शैक्षणिक नहीं रहा. इन सभी जातियों ने किसी न किसी रूप में अस्पृश्यता को सहन किया है.”
सुप्रीम कोर्ट के दलित – आदिवासी के कोटे के अंदर कोटे के फ़ैसले के ख़िलाफ़ केंद्रीय मंत्री @iChiragPaswan की पार्टी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी । चिराग़ ने साफ़ किया कि दलितों – आदिवासियों को आरक्षण छूआछूत के आधार पर मिला हैं @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/8V2oBGwaQD
— manish (@manishndtv) August 3, 2024
उन्होंने तर्क दिया, “इसलिए आरक्षण के भीतर आरक्षण की अवधारणा अनुसूचित जातियों पर लागू नहीं हो सकती… क्रीमी लेयर अनुसूचित जातियों पर कभी लागू नहीं हो सकती क्योंकि इसका आधार अस्पृश्यता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों में अस्पृश्यता का उल्लेख तक नहीं है. आज भी हम दलित दूल्हों को घोड़ी पर चढ़ने से रोकते हुए देखते हैं. यहां तक कि संपन्न परिवारों से आने वाले शिक्षित अनुसूचित जाति के लोगों को भी अस्पृश्यता का सामना करना पड़ता है.”
शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के हैंडल ने पासवान के पिता रामविलास पासवान की विरासत की ओर इशारा किया था, जो कि एक दलित नेता थे. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था.
पोस्ट में पार्टी ने लिखा, “एससी-एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में रिजर्वेशन वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पक्षधर नहीं है. पार्टी के संस्थापक पद्म भूषण रामविलास पासवान भी इस बात की मांग करते आए कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है तब तक एससी-एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान न हों. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करती है कि फैसले पर पुर्नविचार किया जाए ताकि एसी-एसटी समाज में भेदभाव न उत्पन्न हो और समाज को कमजोर न किया जा सके.”
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया छा. बहुमत के फैसले में कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति है.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा था, “एससी/एसटी श्रेणियों के सदस्य अक्सर व्यवस्थागत भेदभाव के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं. अनुच्छेद 14 जाति के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है… ऐतिहासिक और अनुभवजन्य साक्ष्य दर्शाते हैं कि अनुसूचित जातियां सामाजिक रूप से विषम वर्ग हैं.”
केंद्र ने अदालत को यह भी बताया था कि वह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उप-वर्गीकरण के पक्ष में है, क्योंकि ऐसा न करने से आरक्षित श्रेणियों में असमानता बनी रहेगी.
जाति जनगणना
संसद के जारी सत्र में गरमागरम चर्चा का विषय बनी जाति जनगणना की मांग के बारे में जब चिराग पासवान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे नीतियां बनाने के लिए इसके पक्ष में हैं. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें जाति जनगणना करानी चाहिए. लेकिन इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. सरकार को नीतियां बनाने के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए.”