बांग्लादेश (Bangladesh) में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन और भारी हिंसा की घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है. उनकी प्रतिद्वंदी नेता खालिदा जिया भी जेल से बाहर आ चुकी हैं. हालांकि बांग्लादेश में कई दशकों से सत्ता संभालती रहीं इन दोनों महिलाओं के हाथ में अब देश की कमान नहीं है. अब सत्ता नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के हाथ में है. अब भारत समेत दुनिया की नजरें यूनुस पर हैं. लेकिन बांग्लादेश की सत्ता यूनुस के हाथ में ऐसे समय पर आई है जब देश भारी समस्याओं से घिरा हुआ है. ऐसे में यूनुस के सामने कई चुनौतियां हैं.
बांग्लादेश में तख्तापलट के साथ शेख हसीना के शासन का अंत हो गया. देश में गुरुवार को अंतरिम सरकार का गठन हो गया. मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख की शपथ ले ली. अंतरिम सरकार बनने के बाद अब बांग्लादेश किस रास्ते पर जाएगा, इसका भविष्य क्या होगा? यह बड़ा सवाल है.
बांग्लादेश के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए वहां की सत्ता में बदलाव की जरूरत काफी पहले से महसूस की जा रही थी. बांग्लादेश की आजादी के नायक शेख मुजीबुर्रहमान की पुत्री शेख हसीना पहले सन 1996 से 2001 तक प्रधानमंत्री रही थीं और फिर 2009 से अब तक प्रधानमंत्री थीं. बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी की सरकार की जगह नई सरकार के विकल्प की जरूरत महसूस की जा रही थी. इसके पीछे देश में लगातार महंगाई बढ़ना, आर्थिक घोटाले और रोजगार की कमी जैसे कई कारण थे. हसीना की सरकार लगातार लोगों का विश्वास खोती गई.
अब युवाओं, छात्रों की पसंद के नेता के रूप में मोहम्मद यूनुस ने सत्ता संभाली है. वे आत्मविश्वास से से भरे हैं. बांग्लादेश उनके साथ आशावादी नजरों से भविष्य में झांकने की कोशिश कर रहा है. मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश को संभालने और इसे सुनहरे भविष्य की दिशा में आगे ले जाने के लिए इन 10 मुद्दों पर काम करना होगा-
प्रतिशोध की भावना से मुक्ति का आश्वासन
बांग्लादेश में अवामी लीग का विरोधी पक्ष तख्तापलट में मुख्य भूमिका में रहा है. दूसरी तरफ शेख हसीना, अवामी लीग और उसके समर्थक हैं. इनमें से बड़ी संख्या में लोग निशाना बनाए जा रहे हैं, हिंसा के शिकार हो रहे हैं. वे भयभीत हैं और देश से पलायन करने की कोशिश भी कर रहे हैं. इनमें से बहुत सारे लोग वे हैं जो शेख हसीना सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं और बड़ी संख्या में वे हैं जो सरकार के समर्थक रहे हैं. इनके अलावा पुलिस और सिविल सेवा के अधिकारी प्रतिशोध के शिकार न बनें, उन्हें यह आश्वासन देना जरूरी होगा. यदि प्रतिशोध के रूप में मुकदमे चलाए जाते हैं तो उससे शांति नहीं आती बल्कि नए प्रतिशोध की भावनाएं जन्म लेती हैं. सार्वजनिक सेवाओं के लिए काम करने वाले सरकारी अमले भय और दबाव में बेहतर परिणाम नहीं दे सकेंगे.
अतीत से सबक लेकर भविष्य की राह चुननी होगी
बांग्लादेश को अतीत भूलकर आगे का रास्ता बनाना होगा. अतीत से सबक लेकर भविष्य का रास्ता तय किया जा सकता है. समर्पित दूरदर्शी लोकसेवक देश में आर्थिक सुधार के लिए अनुकूल हालात बना सकते हैं. उद्योग और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में विकास से स्थितियां सुधर सकती हैं. देश के भीतर पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयास दूसरे देशों में बसे बांग्लादेशियों की मदद से किए जा सकते हैं. पुलिस और सरकारी कर्मचारी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं.
प्रवासियों से मदद
बांग्लादेश का प्रवासी समुदाय राष्ट्र की जरूरतों के लिए काफी पूंजी उपलब्ध करा सकता है. इस समुदाय को व्यवस्थित तरीके से प्रेरित करके देश में सकारात्मक बदलाव की सद्भावना के साथ प्रवासियों के उत्साह का दोहन करने से सफलता मिल सकती है.
नेतृत्व की नई शैली को प्रोत्साहन
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ चलाए गए आंदोलन ने नेतृत्व को लेकर महत्वपूर्ण सबक दिए हैं. हर किसी को औपचारिक अधिकार या पद देने के बजाय उनको स्वयं के तरीकों से योगदान करने के लिए प्रेरित और सशक्त किया जाना चाहिए. छात्र आंदोलनकारियों ने नेतृत्व को लेकर नया प्रयोग किया. उन्होंने खुद को नेता नहीं बल्कि “समन्वयक” कहा. उन्होंने पदों के झमेले में न पड़कर एक चुस्त टीम के रूप में काम किया. वे व्यक्तिगत अहम को परे रखकर अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किए रहे. राष्ट्र निर्माण में भी इसी भावना को बनाए रखने के लिए प्रेरित करके देशवासियों का योगदान लेना चाहिए.
समावेशी बनने की जरूरत
राष्ट्र को एक-दो प्रतीकों और अवसरों की जरूरत है. इनको लेकर बिना यह महसूस किए कि कोई भी अपनी राजनीतिक पार्टी की निष्ठाओं के साथ विश्वासघात कर रहा है, एकजुटता लाई जाए. अतीत के घावों से दूर विभाजनों को पार करते हुए काम करने वाले लोगों के ज्वलंत उदाहरण सामने रखने की जरूरत है. प्रोफेसर यूनुस को उन प्रतीकों को चुनना और प्रदर्शित करना चाहिए. एक संभावना यह है कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के व्यक्तित्व को प्रेरणा के रूप में किसी एक राजनीतिक पार्टी से जोड़े बिना वापस लाया जाए.
विचारधारा से ज्यादा जरूरी अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय आकांक्षाएं पूरी करने के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार जरूरी है. महंगाई को नियंत्रित करने, रोजगार और उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है. अर्थव्यवस्था गहरे वैचारिक मतभेदों के खुद ही सुलझने का इंतजार नहीं करती. सरकार में बदलाव और मोहम्मद यूनुस के राष्ट्र का मुखिय बनने से देश में आत्मविश्वास जागा है. देश के बाजारों में इसका असर दिखना चाहिए. बाजार में आत्मविश्वास निजी क्षेत्र के निवेश और विदेशी निवेश के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.
बांग्लादेश में रोजगार पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए, उनकी बिक्री बढ़ाने के लिए ग्लोबल बिजनेस लीडर्स को आमंत्रित किया जाना चाहिए. सरकार को उनसे उनकी जरूरतों के बारे में पूछना चाहिए और उस हिसाब से उत्पादन को प्रोत्साहित करना चाहिए. प्रोफेसर यूनुस अर्थशास्त्री और बैंकर हैं. वे अपने इस महारथ से देश को लाभ पहुंचा सकते हैं.
आर्थिक कूटनीति से विकास
बांग्लादेश को निवेश के लिए स्पष्ट लक्ष्यों के साथ आर्थिक दूतों के एक समूह की जरूरत है. आर्थिक राजनयिक वैश्विक मांग के क्षेत्रों, जैसे कि पर्यावरण सुधार या स्वास्थ्य सेवा से जुड़े उत्पाद, को बांग्लादेश से आपूर्ति के साथ जोड़ने में भी मदद कर सकते हैं. इसके अलावा विश्व आर्थिक मंच जैसे संगठनों के साथ साझेदारी में ढाका में कंपनियों के टॉप सीईओ और वैश्विक संस्थागत निवेशकों को आमंत्रित किया जा सकता है. अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार के लिए बांग्लादेश में सन 2025 “निवेश वर्ष” घोषित किया जा सकता है.
आम नागरिकों के विचारों तक सीधी पहुंच
सोशल मीडिया आम नागरिकों के विचारों से भरा पड़ा है. उनके सुझावों तक पहुंच आसान है. एक वेबसाइट बनाकर लोगों के विचार आमंत्रित किए जा सकते हैं और उन पर अन्य लोगों से वोटिंग भी कराई जा सकती है. प्रति माह सरकार सबसे अच्छे विचारों पर प्रतिक्रिया दे सकती है. यह एक ऑनलाइन नागरिक सभा के रूप में काम कर सकता है. इसके जरिए सरकार नागरिकों के मुद्दों, उनकी चिंताओं से सीधे तौर पर अवगत हो सकती है.
सुधारों के लिए एक प्रणाली विकसित करने की जरूरत
संस्थागत सुधारों और उनके प्रभावों के आकलन में सावधानी जरूरी है. इसके लिए जांच और संतुलन की एक प्रणाली बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. दूसरे देशों के उदाहरणों का आकलन करना चाहिए और अपने इतिहास से भी सबक सीखना चाहिए. यह देखना चाहिए कि सुधार के पिछले कार्य क्यों सफल नहीं हुए? सरकार ने कौन सी गलतियां की थीं जिनसे इस सरकार को बचना चाहिए? संस्थागत प्रक्रियाएं विफलता की संभावनाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन की जानी चाहिए और इसी को ध्यान में रखते हुए उनका परीक्षण किया जाना चाहिए.
संवाद से विश्वास
मोहम्मद यूनुस को देश के नागरिकों को सीधे संबोधित करना चाहिए. वे एक नियमित अंतराल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं. इस समय उनसे उम्मीदें बहुत अधिक हैं, जबकि सरकार को कुछ सबसे अधिक प्राथमिकता वाली चीजों पर ही ध्यान केंद्रित करना होगा. लोगों में यह उम्मीद बनाए रखें कि समय के साथ सभी मुद्दों से निपटा जाएगा. वे लोगों में यह भरोसा जगाए रखें कि सब कुछ एक साथ नहीं हो सकता लेकिन सबके साथ मिलकर समय के साथ सब कुछ हो सकता है.
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