सऊदी अरब बना रहा है एक ऐसा आधुनिक शहर, जो किसी ख्वाब से कम नहीं होगा. एक ऐसा शहर जो पूरी दुनिया को हैरान कर देगा. एक ऐसा शहर, जो कल्पना से भी परे है. सऊदी अरब का प्रोजेक्ट मुकाब एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से 20 गुना बड़ा होगा. सऊदी का विजन 2030 रियाद में दुनिया का सबसे बड़ा आधुनिक शहर विकसित करना है.
“दुनिया का सबसे बड़ा टॉवर” बनने वाली एक अविश्वसनीय गगनचुंबी इमारत का निर्माण शुरू हो गया है, जिसमें 20 एम्पायर स्टेट इमारतें समा सकती हैं. यह “न्यू मुरब्बा” भविष्य के शहर के केंद्र में होगा जिसे रियाद शहर को नया रूप देने की योजना बनाई जा रही है. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की लीडरशिप में सऊदी अरब नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने राजधानी रियाद के सेंटर में न्यू मुरब्बा (New Murabba) नाम के हाईटेक सिटी निर्माण करने का फैसला लिया है. इस शहर को कैसे डेवलेप किया जाएगा. इसमें कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी. ये कैसा दिखेगा. आइए आपको बताते हैं.
इस प्रोजेक्ट की खासियत जानते हैं
अंदर से ऐसा होगा यह हाईटेक शहर
इन सबके अलावा इस बिल्डिंग में कई और खासियतें होंगी. जानकारी के मुताबिक, इस क्यूब की डिजाइन वाले बड़े से शहर की डिजाइन अंदर से ट्रेडिशनल नजदी स्थापत्य स्टाइल से इंस्पायर होगी. देखा जाए तो यह दुनिया का पहला इमर्सिव डेस्टिनेशन होगा. इस शहर में पैदल चलने के लिए हराभरा क्षेत्र होगा. साइकिल चलाने के अलग रास्ते होंगे. यह लाइफस्टाइल को एक्टिव बनाएंगे. इसमें विश्वविद्यालय, इमर्सिव थिएटर और 80 से ज्यादा एंटरटेनमेंट और कल्चरल प्लेस बनाए जाएंगे. इस शहर में ट्रांसपोर्ट का सिस्टम भी काफी हाईटेक होगा. इसे ऐसे डेवलेप किया जाएगा कि आपको एयरपोर्ट सहित कहीं भी आने जाने में 20 मिनट से भी कम का समय लगे.
2030 तक बनाने की तैयारी
सऊदी अरब इस परियोजना के जरिए अपनी अर्थव्यवस्था का तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है. इससे सऊदी में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट से वर्ष 2030 तक तीन लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर बनेंगे.
कई लोगों ने की आलोचना
हालाँकि, कई लोगों ने मक्का में काबा के समान होने के कारण इस योजना की आलोचना की है, जिसे इस्लाम का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है.
देश के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले साल अपने महत्वाकांक्षी सऊदी विजन 2030 के हिस्से के रूप में इस परियोजना की घोषणा की थी. लेकिन मानवाधिकार समूहों ने बड़े पैमाने पर निर्माण योजनाओं पर कई चिंताएं व्यक्त की हैं – इस आशंका के साथ कि प्रवासी श्रमिकों का शोषण किया जाएगा और कई स्थानीय लोग विस्थापित हो जाएंगे.