India’s security threat and preparedness: दुनिया में कहां-कहां तनाव है या युद्ध चल रहा है. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. इस युद्ध की शुरुआत ढाई साल पहले हुई. इजरायल का हमास के खात्मे के लिए गाज़ा पर हमला, इजरायल का लेबनान पर हमला, इजरायल का सीरिया पर हमला और अब इजरायल और ईरान के बीच भी एक दूसरे पर हमले के बाद इसके बढ़ने के आसार बन गए हैं. इसके अलावा चीन और ताइवान के बीच तनाव बरकरार है और अब पिछले कुछ दिनों से उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच में तनाव बढ़ता जा रहा है. अभी कुछ दिन पहले भारत और चीन ने अपने सीमा पर चले आ रहे तनाव को कम करने के लिए समझौता कर लिया और स्थिति को काबू में किया. यह तनाव भी पिछले 5 सालों से चला आ रहा था. दोनों देश की सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी रहीं थी.
भारत की क्या है तैयारी
विश्व में जब तनाव इतना बढ़ता जा रहा है तो ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठना तो लाजमी है कि भारत की क्या तैयारी है. भारत की क्या स्थिति है. इजरायल ने ईरान पर 2000 किलोमीटर दूर जाकर हमला किया. दोनों देशों की सीमाएं नहीं मिलती हैं फिर भी दोनों देश एक दूसरे पर मिसाइल से हमले कर रहे हैं या फिर युद्धक विमानों का प्रयोग कर हमला कर रहे हैं. सीमा पर आर-पार की लड़ाई भारत ने कई कर ली.
रूस से बमवर्षक लाने की तैयारी
भारत ने ऐसे में अपनी तैयारी आरंभ कर दी है. भारत ने रूस भारी बमवर्षक विमान Tu-22M3 और Tu-160 ‘वॉइट स्वान’ लेने की शुरुआत कर दी है. मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार रूस दोनों बमवर्षक विमानों को देने को तैयार हो गया है. बता दें कि Tu-22M3 को दो दशक पहले भारतीय नौसेना को ऑफर किया गया था, लेकिन ऊंची कीमत और खर्चे के चलते डील फाइनल नहीं हो पाई थी. एक टीयू-160एम की अनुमानित कीमत 16.5 करोड़ डॉलर है. यह विमान एक साथ 12 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल या फिर छोटी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइल ले जाने में सक्षम है.
12000 किलोमीटर लगातार उड़ने की क्षमता वाला बमवर्षक
यह बमवर्षक एक बार ईंधन भरकर 12000 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है. भारतीय वायुसेना के पास इस तरह का यह पहला विमान होगा जो इतनी लंबी दूरी पर बमों की बारिश करने की क्षमता रखेगा. बताया जा रहा है कि 2027 तक इन विमानों की आपूर्ति हो सकेगी.
मिसाइलों को लेकर भारत की क्या है तैयारी
ये तो हुई आसमान की बात. लेकिन भविष्य में मिसाइलों का खेल बढ़ने वाला है. ऐसे में मिसाइलों के हमले में भारत की क्या है तैयारी. भारत की क्या है क्षमता और भारत का रक्षा तंत्र कितना मजबूत है. इस बारे में बात आज इस लेख में…
पिछले कुछ दशकों में भारत ने अपनी मिसाइल तकनीकी में उल्लेखनीय विकास किया है. देश ने स्वदेशी रूप से कई तरह की मिसाइलें विकसित की हैं. इन मिसाइलों में बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें और एंटी-टैंक मिसाइलें शामिल हैं.
कुछ प्रमुख मिसाइल सिस्टम हैं
अग्नि मिसाइल
अग्नि मिसाइल एक मध्य दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. बता दें कि अग्नि मिसाइल मध्यम से अंतरमहाद्विपीय दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइलों का समूह है. यह भारत में पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से विकसित की गईं हैं. भारत, 2008 तक इस मिसाइल समूह के तीन संस्करण तैनात कर चुका है.
अग्नि-1 मिसाइल
यह मिसाइल मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. यह 700 – 1,250 किलोमीटर तक मार कर सकती है. यह मिसाइल सेनाओं के प्रयोग में लाई जा रही है.
अग्नि-2 मिसाइल
अग्नि 2 मिसाइल मीडियम रेंज की दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 2,000 – 3,000 किलोमीटर की है. यह मिसाइल भी तैनात की जा चुकी है.
अग्नि-3 मिसाइल
अग्नि 3 मिसाइल भी मध्यम दूरी की मिसाइल है. इसकी रेंज 3,500 – 5,000 किलोमीटर तक रहती है. यह मिसाइल भी सेनाओं के प्रयोग के लिए तैनात की जा चुकी है.
अग्नि-4 मिसाइल
अग्नि 4 मिसाइल को भी मध्यम दूरी की मिसाइल कहा जाता है. यह बैलिस्टिक मिसाइल 3,000 – 4,000 किलोमीटर की रेंज कवर करती है. इस मिसाइल का परीक्षण अभी भी जारी है. इसके जल्द तैनात किए जाने की उम्मीद है.
अग्नि-5 मिसाइल
अग्नि-5 मिसाइल आईसीबीएम रेंज की मिसाइल कही जाती है. यानी यह अंतर-महाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 5,000 – 8,000 किलोमीटर की है. यह मिसाइल भी अभी परीक्षण की स्टेज में है.
अग्नि-6 मिसाइल
अग्नि-6 मिसाइल भी आईसीबीएम रेंज की मिसाइल हैं. यह भी अंतर-महाद्विपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है. यह मिसाइल 8,000 – 10,000 किलोमीटर की रेंज के लिए तैयार की जा रही है. अभी इसका डेवलेपमेंट का काम चल रहा है.
पृथ्वी मिसाइल
पृथ्वी मिसाइल एक छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. यह मिसाइल न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल भी है. इस मिसाइल के तीन वेरियंट हैं. पृथ्वी-1, पृथ्वी 2 और पृथ्वी 3. इनमें से पृथ्वी 1 सिंगल-स्टेज तरल-ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है.
पृथ्वी 2 मिसाइल एक सिंगल-स्टेज, तरल-ईंधन वाली मिसाइल है. इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है. यह मिसाइल 350 किलोमीटर तक टारगेट को हिट कर सकती है. यह भी कई तरह के विस्फोटक ले जा सकती है. पृथ्वी-2 मिसाइल परमाणु बम तक ले जाने में सक्षम है. सतह से सतह पर यह हमला करने में सक्षम है. इस मिसाइल की लंबाई नौ मीटर है.
नाग मिसाइल
नाग मिसाइल एक एंटी-टैंक मिसाइल है. कहा जाता है कि कोबरा सांप के नाम पर इस मिसाइल का नाम रखा गया है. इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत अब इस मिसाइल की तीसरी पीढ़ी को तैयार कर लिया गया है.
यह मिसाइल पांच तरह के वेरिएंट में आती है और हर मौसम में तैनात की जा सकती है. इस मिसाइल का वजन 43 किलो है और यह मिसाइल 828 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दागी जा सकती है. इस मिसाइल के हेलिना (सेना संस्करण) और ध्रुवास्त्र (भारतीय वायुसेना संस्करण) के टेस्ट हो चुके हैं. इस मिसाइल को दिन और रात किसी भी समय दागा जा सकता है. यह मिसाइल किसी भी टैंक को निशाना बनाकर विस्फोट करने में सक्षम है.
ब्रह्मोस
ब्रह्मोस मिसाइल एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. क्रूज़ मिसाइल उसे कहते हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती हैं और इस तरह से रडार से बच जाती है. ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से भी दागा जा सकता है.
इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. यह मिसाइल जमीन, समुद्र, और हवा से लॉन्च की जा सकती है.
ब्रह्मोस को पारंपरिक लॉन्चर के अलावा वर्टिकल लॉन्चर से भी छोड़ा जा सकता है. यह मिसाइल 10 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है. ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर तक हमला कर सकती है.
ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन से जमीन, जमीन से पानी, पानी से जमीन, समुद्र से समुद्र, हवा से पानी और हवा से जमीन पर निशाने पर दागा जा सकता है.
एंटी मिसाइल सुरक्षा कैसी है
मिसाइलों से हमले को रोकने में भी भारत ने पिछले कुछ सालों में तैयारी कर ली है. भारत ने रूस से एस-400 लिया है. साथ ही अपनी भी रक्षा प्रणाली बना ली है जो इजरायल के आयरन डोम के जैसा है. यह सिस्टम 25 किलोमीटर की रेंज में आने वाले किसी भी दुश्मन के विमान, मिसाइल, ड्रोन या हेलिकॉप्टर को नष्ट कर सकता है. इसकी रेंज को और बढ़ाया जाएगा.
इसके अलावा भारत के पास एयर डिफ़ेंस प्रणालियां भी हैं. इनमें इंडियन बैलिस्टिक मिसाइल डिफ़ेंस प्रोग्राम, S-400 ट्रिम्फ़ एयर डिफ़ेंस सिस्टम, आकाश एयर डिफ़ेंस सिस्टम शामिल हैं. इसमें कोई दो राय नहीं यदि दुनिया अब भारत का लोहा मान रही है तो उसके पीछे भारत सरकार द्वारा की गईं रक्षा तैयारी है.