सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2017 के अपने फैसले को बरकार रखा, जिसमें लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहनों को चलाने की अनुमति दी गई थी. इस मामले पर सीजेआई की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 21 अगस्त को सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
सिर्फ हल्के वाहन चालकों के कारण नहीं होते हादसे!
संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. फैसला सुनाते हुए जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा, ‘सड़क सुरक्षा विश्व स्तर पर एक गंभीर सार्वजनिक मुद्दा है. और भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.7 लाख लोग मारे गए. यह कहना कि यह सब हल्के वाहन चालकों के कारण हुआ, निराधार है. इसके पीछे सीट बेल्ट नियमों का पालन न करना, मोबाइल का उपयोग, नशे में होना आदि कारण हैं. वाहन चलाने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है. सड़क की ढलानों को संभालने के लिए ध्यान देने और ध्यान भटकाने से बचने की आवश्यकता होती है.
‘लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थिर नहीं रह सकती’
जस्टिस हृषिकेश रॉय ने फैसला सुनाया, ‘ इस अदालत का निर्णय हल्के वाहन धारकों द्वारा बीमा दावा करने में भी मदद करेगा, जो 7500 किलोग्राम से कम वजन वाले वाहन चलाते हुए पाए जाते हैं. लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थिर नहीं रह सकती. हम आशा करते हैं कि मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए उपयुक्त संशोधन किए जाएंगे. अटॉर्नी जनरल ने आश्वासन दिया है कि ऐसा ही किया जाएगा.’