NCP (अजित गुट) के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या और सलमान खान को जान की धमकी देने के मामलों में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के मेंबरों को पुलिस तलाश कर रही है. आज लॉरेंस बिश्नोई का गैंग और नेटवर्क बहुत बड़ा हो गया है. उसे एक वर्ग खासतौर से युवा हीरो मानते हैं. लॉरेंस बिश्नोई जेल में बंद होकर भी क्राइम को अंजाम देता है. सलाखों के पीछे से वह अपना नेटवर्क चलाता है. चंडीगढ़ पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह ने कभी लॉरेंस बिश्नोई को लगातार 5 बार अरेस्ट किया था. उन्होंने बताया कि कैसे एक साधारण छात्र नेता धीरे-धीरे अपराध की दुनिया का बादशाह बनता गया. रॉकी फाजिल्का नाम के शख्स ने लॉरेंस की पहचान जुर्म की दुनिया से कराया था.
NDTV के साथ खास इंटरव्यू में पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह ने कहा, “जुर्म की दुनिया में नाम कमाने वाला लॉरेंस बिश्नोई शुरुआत से अपराधी नहीं था. पुलिस कॉन्स्टेबल का बेटा लॉरेंस शुरुआत में सीधा-सादा लड़का था. उसे कानून में दिलचस्पी थी. वो कानून की पढ़ाई कर रहा था. लेकिन उसकी जिदंगी में एक दिन एक ऐसा शख्स आया, जिसने लॉरेंस की पहचान जुर्म की दुनिया से करवाई. ये शख्स था रॉकी फाजिल्का.
अमनजोत सिंह ने कहा, “रॉकी फाजिल्का ने लॉरेंस की पोटेंशियलिटी देखकर उसे गैंगस्टरों में आगे बढ़ाया. लॉरेंस जब बार-बार जेल जाता रहा, तब जेल में उसकी दोस्ती रॉकी फाजिल्का से हुई थी. उसने बहुत बड़े बड़े क्राइम कर रखे थे. उसको लगा इस लड़के में पोटेंशियल है. क्योंकि वह इस दौरान 5-6 बार जेल आ चुका है. इसके बाद फाजिल्का ने उसको यूज करना शुरू कर दिया.”
रंजीत सिंह डुपला ने लॉरेंस और फाजिल्का को मिलवाया
पूर्व इंस्पेक्टर अमनजोत सिंह बताते हैं, “रॉकी फाजिल्का बहुत पुराना एक गैंगस्टर था. उसकी पढ़ाई चंडीगढ़ के GCM कॉलेज में हुई थी. यहीं उसकी मुलाकात डिंपी नाम के गैंगस्टर से हुई थी. बाद में उसने भी बड़े-बड़े क्राइम किए. जब लॉरेंस बिश्नोई बांदा जेल गया, तो उसकी पहचान रंजीत सिंह डुपला से हुई. रंजीत जसविंदर सिंह रॉकी यानी रॉकी फाजिल्का का काफी क्लोज था. उसी ने लॉरेंस और फाजिल्का की दोस्ती कराई थी.”
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जेल में लॉरेंस को देख रॉकी हुई इंप्रेस, की थी ग्रूमिंग
रॉकी फाजिल्का पहले ही मुख्तार अंसारी ग्रुप के साथ जुड़ा हुआ था. राजिंदर सिंह डिंपी के मर्डर केस में वह जेल में बंद था. लॉरेंस से इंप्रेस होकर उसने उसे अपने साथ मिला लिया. फाजिल्का फिरोजपुर का रहने वाला था. दोनों का गांव आसपास होने के कारण इनमें थोड़ा बहुत प्यार बढ़ गया. रॉकी ने जेल में ही लॉरेंस की ग्रूमिंग की. फिर ये क्राइम की दुनिया में आगे बढ़ता रहा.”
पंजाब के फिरोजपुर का रहने वाला था फाजिल्का
दरअसल, पंजाब के फिरोजपुर के फाजिल्का में साल 1971 में पैदा हुआ जसविंदर सिंह रॉकी का 90 के दशक में काफी दबदबा था. यूपी के मुख्तार अंसारी गैंग के साथ उसका कनेक्शन था. इस गैंग के साथ काम करते करते 1994 तक रॉकी कई वारदात को अंजाम दे चुका था. 1997 में इलाहाबाद के व्यापारी नंद किशोर रूंगुटा की किडनैपिंग और मर्डर केस में रॉकी फाजिल्का पर केस दर्ज हुआ था. उसके खिलाफ CBI ट्रायल भी हुआ, लेकिन गवाहों के अभाव में वह छूट गया. फिर 1998 में बैंगलोर के बिजनेसमैन निर्मल कुमार जयपुरिया के किडनैपिंग मामले में उसका नाम आया. इस मामले में भी रॉकी छूट गया.
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2002 में लौटा पंजाब
बिजनेसमैन निर्मल कुमार जयपुरिया के किडनैंपिंग केस से छूटने के बाद रॉकी फाजिल्का 2002 में पंजाब लौटा था. यहां उसका साथी प्रभजिंदर सिंह डिंपी अपना गैंग चला रहा था. इस बीच रॉकी और डिंपी के बीच अदावत छिड़ी. फिर रॉकी ने 2006 में डिंपी की हत्या कर दी. हालांकि, सबूतों के अभाव में वह बरी हो गया. 2007 से 2012 तक रॉकी फाजिल्का पर 7 बड़े केस दर्ज हुए.
2012 में राजनीति में की एंट्री, हुआ फेल
रॉकी फाजिल्का ने 2012 में पंजाब के BJP नेता सुरजीत ज्याणी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था. लेकिन वह चुनाव हार गया. इसके बाद क्राइम की दुनिया में वह फिर से एक्टिव हुआ. 2015 में उसके खिलाफ हत्या और किडनैपिंग के 4 बड़े केस दर्ज हुए. रॉकी पर 1996 से लेकर 2016 तक हत्या, हत्या की साजिश, किडनैपिंग जैसे संगीन मामलों के कुल 22 केस दर्ज हुए थे. गौर करने वाली बात ये है कि उसकी सुरक्षा में पंजाब पुलिस की तरफ से 4 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
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2016 में मार दी गई गोली
इसके बाद 30 अप्रैल 2016 में रॉकी अपने दोस्त परमपाल पाला और सुरक्षाकर्मियों के साथ हिमाचल के सोलन से चंडीगढ़ जा रहा था. इसी दौरान सड़क पर घात लगाए बैठे हमलावरों ने रॉकी फाजिल्का पर गोलियों की बौछार कर दी. अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी.
लॉरेंस बिश्नोई के पिता थे कॉन्स्टेबल
लॉरेंस बिश्नोई 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फाजिल्का में पैदा हुआ था. उसके पिता एक पुलिस कॉन्स्टेबल थे. रंग गोरा-चिट्टा होने के कारण परिवार ने उसका नाम लॉरेंस रखा था. लॉरेंस का मतलब चमकता हुआ सफेद होता है. हालांकि, पुलिस रिकॉर्ड में लॉरेंस का नाम सतविंदर सिंह है.
DAV कॉलेज में करता था लॉ की पढ़ाई
लॉरेंस के पिता का सपना था कि बेटा IAS ऑफिसर बने. अबोहर से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद लॉरेंस चंडीगढ़ चला गया. यहां उसने DAV कॉलेज में दाखिला लिया. धीरे-धीरे उसकी दिलचस्पी छात्र राजनीति में होने लगी. वह लॉ की पढ़ाई करने लगा. इसी दौरान उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ से हुई. बाद में ये लॉरेंस का राइट हैंड बन गया. गोल्डी बराड़, अब कनाडा में बैठकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है.
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पूरे नॉर्थ इंडिया में फैला रखा है नेटवर्क
पहले लॉरेंस गैंग पंजाब में एक्टिव था. धीरे-धीरे इसने अपने जड़ें फैलानी शुरू की. इस गैंग के सदस्यों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी पब्लिसिटी की. लॉरेंस गैंग देखते ही देखते हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की गैंग से जुड़ गया. उसका गैंग अब पूरे नॉर्थ इंडिया पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड तक फैल चुका है.
विदेशों से मंगवाते हैं हथियार
अब तो लॉरेंस गैंग के मेंबर विदेशों में भी एक्टिव हैं. गोल्डी बराड़ कनाडा में बैठकर क्राइम को अंजाम देता है. अमेरिका, पाकिस्तान और दुबई में भी ये गैंग एक्टिव है. रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार के अलावा पाकिस्तान बॉर्डर से लगे पंजाब से इनके पास हथियार पहुंचते हैं. अमेरिका, रूस, कनाडा और नेपाल से भी ये लोग हथियार मंगाते हैं.