प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भारत में ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल की बुनियादी इकाई हैं. इसे स्वास्थ्य प्रणाली का पहला बिंदु कहा जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोग सबसे पहले इलाज के लिए इन्हीं केंद्रों पर जाते है. इन केंद्रों में डॉक्टर्स के कुल 51 हजार से ज्यादा पद स्वीकृत है जिसमें से 22 प्रतिशत यानी 11,150 पद खाली है. वहीं नर्सिंग के देश में 59 हजार से ज्यादा कुल पद है वहां भी 22 प्रतिशत यानी 13279 पद खाली है.
देश के अलग-अलग राज्यों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के 11 हजार से ज्यादा पद खाली है. जिसमें से ग्रामीण इलाकों में 9352 पद और शहरी इलाकों में 1796 पद खाली है. वहीं नर्सिंग के 13279 पद खाली है.यह जानकारी सरकार ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया है.
बात अगर शहरी इलाकों में खाली नर्सिंग पदों की करें तो यहां पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है. राज्य में स्वीकृत कुल 998 पद में 591 यानी लगभग 60 प्रतिशत पद खाली है. बंगाल के बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां 2347 कुल पदों में से 14 प्रतिशत यानी 331 पद खाली है.
बात करें ग्रामीण और शहरी इलाकों में डॉक्टर और नर्सिंग पदों के खाली होने को लेकर तो ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर और नर्सिंग पद शहरों के मुकाबले ज्यादा खाली है. डॉक्टर के खाली पद ग्रामीण इलाकों में 22% है तो वहीं शहरों में 19%. इसी तरह नर्सिंग पदों की बात करें तो ग्रामीण में 23% और शहरों में 20% खाली है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि, नेशनल हेल्थ मिशन के तहत केंद्र से मिलने वाली मदद के बाद राज्य सरकारें नियुक्तियां बढ़ा रही है. 31 मार्च 2024 तक 1.39 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) को आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य सेवा के तहत नियुक्त किया गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में साल 2014 के बाद 102 प्रतिशत का उछाल मेडिकल कॉलेज खोलने में आया है. साल 2014 में 387 कॉलेज थे जो 2024 में बढ़कर 780 हो गए है. साथ ही MBBS और मेडिकल PG सीटों में भी पिछले 10 सालों में 130 और 135 प्रतिशत का का उछाल आया है.