सांसद कंगना रनौत को बीजेपी नेतृत्व ने अनर्गल बयानबाजी से बचने के निर्देश दिए हैं. पार्टी ने कहा कि कंगना को हर मुद्दे पर बयान देने से बचना चाहिए. बीजेपी की ओर से कहा गया कि कंगना रनौत पार्टी की ओर से बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. उनका बयान पार्टी का बयान नहीं है.
आइए आपको बताते हैं कि बीजेपी सांसद कंगना रनौत के किसानों को लेकर दिए बयान पर राजनीतिक हंगामा क्यों बरपा है? चुनावी राज्य हरियाणा में कांग्रेस ने खुलकर इस मुद्दे पर बीजेपी और कंगना रनौत को घेरा है. मामला बढ़ता देख भाजपा के केंद्रीय मीडिया विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी और मंडी की सांसद को हिदायत दी कि वो भविष्य में इस तरह के कोई बयान न दें.
बयान में कहा गया, ‘‘भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है. भाजपा कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है. पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं.”
कहा गया कि भाजपा की ओर से कंगना रनौत को निर्देशित किया गया है कि वे इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें.
पार्टी ने कहा, ‘‘भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर चलने के लिए कृतसंकल्पित है.”
दरअसल एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कंगना ने किसानों और उनके द्वारा किए गए आंदोलन को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिए. उन्होंने कहा कि तीन विवादास्पद कृषि विधेयकों को वापस ले लिया गया, नहीं तो ‘इन उपद्रवियों’ की बहुत लंबी योजना थी और वे देश में कुछ भी कर सकते थे.
रनौत ने ये भी कहा था कि अगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता, तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता.
कंगना रनौत ने किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी करते हुए ये भी दावा किया कि किसान आंदोलन के दौरान कई हत्याएं हुईं और बलात्कार हुए.
इससे पहले भी कंगना ने कहा था, “पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिल रहा है कि भारत में भी इस्लामिक शक्तियां सक्रिय हो रही हैं. हमें पूरी कोशिश करनी है कि भारत में कभी-भी ऐसी शक्तियां सिर ना उठा सके.”
कंगना ने कहा था कि हमें भारत में सनातन को मजबूत करना होगा और सभी लोगों को इसके लिए जागरूक भी करना होगा.
बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते जटिल हो गए हैं – कंगना रनौत
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भय के माहौल में जीने को बाध्य हैं. वहां ईसाई और हिंदुओं को लगातार धमकाया जा रहा है. पहले भारत का बांग्लादेश के साथ मधुर संबंध था, लेकिन अब इस राजनीतिक संग्राम के बाद हमारे रिश्ते बांग्लादेश के साथ भी जटिल हो चुके हैं. वहां आने वाले दिनों में इस्लामिक शक्तियां और ज्यादा उग्र होंगी.”
कंगना के बयान पर हरियाणा और पंजाब के बीजेपी नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी और उन्हें ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी. पंजाब भाजपा के नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा, “पीएम मोदी और बीजेपी किसान हितैषी है. विपक्षी दल हमारे खिलाफ काम कर रहे हैं और कंगना का बयान भी वही कर रहा है. उन्हें संवेदनशील मुद्दों पर ऐसे बयान नहीं देने चाहिए.”
वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी कंगना रनौत के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें ‘गेट वेल सून’ कहा.
ये पहला मामला नहीं है जब कंगना रनौत ने आपत्तिजनक बयान दिया है. इससे पहले 2020 में, उन्होंने कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली पंजाब की एक महिला किसान को बिलकिस बानो बता दिया था. साथ ही दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं को लेकर कहा था कि ये 100-100 रुपये में उपलब्ध रहती हैं.
इस बयान से बड़ा विवाद हुआ और ये तब और बढ़ गया जब कंगना रानौत को चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर एक महिला केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) कांस्टेबल ने थप्पड़ मार दिया था. जब वो इस साल जून में दिल्ली जा रही थीं.