IGL अधिकारी बन दिलवा रहे थे पेट्रोल पंप, 2.39 करोड़ रुपए ऐंठे, तीन को पुलिस ने दबोचा

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) की आईएफएसओ यूनिट ने सीएनजी पंप मुहैया कराने के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ किया है. आईजीएल अधिकारी बनकर पेट्रोल पंप और सीएनजी पंप दिलवाने के बहाने जालसाजों ने पीड़ित से 2.39 करोड़ रुपए ऐंठ लिए थे. स्पेशल सेल ने 3 आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया है.  जालसाजों के इस घोटाले में शामिल तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है जिनके पास से दो मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किए गए. वहीं फर्जी आईजीएल पत्र, एनओसी, चालान, एरिया-ब्लॉकिंग शुल्क प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज भी जब्त किए गए. 

इन तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी के साथ आईएफएसओ यूनिट के मुताबिक ये आरोपी जालसाज लोगों को पेट्रोल और सीएनजी पंप लगाने के बहाने अपना शिकार बनाते थे.  इस मामले में जालसाजों ने पीड़ित शिकायतकर्ता से सीएनजी पंप लगाने के नाम पर 2.39 करोड़ रुपये ठगे थे. आरोपियों ने अलग अलग फर्जी बैंक खातों के जरिए 1.79 करोड़ रुपये और 60 लाख रुपये कैश लिए थे. 
 
IFSO यूनिट के मुताबिक इसी साल 27 मार्च 2024 को एक शिकायतकर्ता ने आईएफएसओ स्पेशल सेल से संपर्क किया था और बताया था कि उसकी जमीन पर सीएनजी पंप लगाने का वादा करने वाले कुछ लोगों ने उससे 2.39 करोड़ रुपये की जालसाजी की है. शिकायतकर्ता ने बताया कि 2021 में पेट्रोल और सीएनजी पंप आवंटन प्रक्रियाओं पर जब वो ऑनलाइन रिसर्च कर रहे थे तब अमरेंद्र और अमित पांडे नामक दो व्यक्तियों ने उससे संपर्क किया, जिन्होंने खुद को इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के कॉर्डिनेटर और एजेंट के रूप में पेश किया. उन्होंने उसे कम से कम औपचारिकताओं के साथ सीएनजी पंप लगवाने का वादा करके लालच दिया. आरोपियों ने पंजीकरण प्रमाणपत्र, बैंक खाते का विवरण और जीएसटी नंबर वाला चालान सहित जाली दस्तावेज बनाकर शिकायतकर्ता को भेज दिए. आईजीएल अधिकारी बनकर जालसाजों ने पीड़ित से 2.39 करोड़ रुपये ठग लिए. शिकायत मिलने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू की गयी. 

इस ऑपरेशन को करने के लिए IFSO की टीम ने काम करना शुरू किया. IFSO के मुताबिक धोखाधड़ी लगभग तीन साल पुरानी है, टीम ने काम किया और धोखाधड़ी में शामिल बैंक खातों की डिटेल इकट्ठा की और पैसे के लेन-देन का पता लगाया. आरोपियों द्वारा दिए गए पंजीकरण और आवंटन दस्तावेजों को आईजीएल के साथ सत्यापित किया गया और पाया गया कि वे नकली थे. मोबाइल नंबरों और तकनीकी निगरानी के विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से टीम ने संदिग्धों के स्थान को चिन्हित किया और बाद में अमित कुमार पांडे, अमरेंद्र कुमार और अमर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े जाने से बचने के लिए ये आरोपी अन्य लोगों के नाम पर पंजीकृत सिम कार्ड का उपयोग कर रहे थे. उन्होंने शिकायतकर्ता को दस्तावेज भेजने के लिए फर्जी ईमेल आईडी भी बनाई. अमित कुमार पांडे की पहचान मास्टरमाइंड के रूप में हुई, जिसने पंजीकरण और आवंटन दस्तावेजों को जाली बनाया, जबकि अमरेंद्र कुमार ने शिकायतकर्ता से नकदी एकत्र की. पेट्रोलियम मंत्रालय के एक पूर्व कर्मचारी अमर सिंह ने एक सूत्रधार के रूप में पेश किया.

स्पेशल सेल के मुताबिक इस सिंडिकेट को पता चला कि शिकायतकर्ता अपनी ज़मीन पर सीएनजी पंप लगाना चाहता था और उसने खुद को आईजीएल अधिकारी और बिचौलिए के तौर पर पेश किया. उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय और आईजीएल में मज़बूत संबंध होने का दावा करते हुए कम से कम औपचारिकताओं के साथ सीएनजी पंप लगाने की पेशकश की. गिरोह ने शिकायतकर्ता को धोखा देने के लिए कई हथकंडे अपनाए, जिसमें साइट विजिट की व्यवस्था करना, फ़र्ज़ी एनओसी, एरिया क्लीयरेंस रिपोर्ट और चालान जारी करना शामिल था, ताकि संदेह पैदा न हो.

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