जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों (Jammu-Kashmir Assembly Elections) में रविवार उस वक्त एक नया मोड़ आ गया, जब अवामी इत्तेहाद पार्टी (Awami Ittehad Party) और जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) के बीच एक रणनीतिक गठबंधन हो गया है. दोनों विधानसभा चुनाव दोनों साथ लड़ेंगी और एक-दूसरे के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगी. चुनाव के पहले चरण के मतदान से महज तीन दिन पहले दोनों साथ आए हैं. एआईपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, “यह पहल इंजीनियर रशीद की पार्टी की तरफ से हुई और जमात इस पर सहमत हो गई क्योंकि अंत में यह एक बड़े मकसद के लिए लड़ाई है, न कि कुर्सी के लिए.”
उनके मुताबिक दोनों पार्टियां जानती है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ेंगी तो दोनों के वोट बंट जाएंगे. उन्होंने कहा, “लेकिन अब एक साथ लड़कर दोनों विशेष रूप से दक्षिण और उत्तरी कश्मीर में वोट मजबूत करेंगे.”
जानकारी के मुताबिक, रविवार को आयोजित संयुक्त बैठक में एआईपी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एआईपी सुप्रीमो और संसद सदस्य इंजीनियर रशीद और एआईपी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने किया. वहीं जेईआई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गुलाम कादिर वानी ने किया.
मिलकर काम करने की आवश्यकता पर दिया जोर
बैठक के मूल में जम्मू-कश्मीर की वर्तमान राजनीतिक स्थिति थी, जिसमें दोनों पक्षों ने क्षेत्र की आबादी के व्यापक हित में मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
व्यापक विचार-विमर्श के बाद सहमति बनी कि एआईपी कुलगाम और पुलवामा में जेईआई समर्थित उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. इसी तरह जेईआई पूरे कश्मीर में एआईपी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देगी.
दोनों पक्ष ‘दोस्ताना मुकाबले’ के लिए तैयार
एआईपी और जेईआई दोनों ने ही जिन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, गठबंधन “दोस्ताना मुकाबले” के लिए सहमत हो गया है, खासकर लंगेट, देवसर और जैनापोरा जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में. अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावों को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाया जाएगा.
उनके अनुसार इस कदम का उद्देश्य वोटों के विभाजन को रोकना है. उन्होंने आगे कहा, ”दोनों पार्टियों का आधार कैडर एक ही है, इसलिए यह उनका एक अच्छा कदम है.”
दिलचस्प बात यह है कि दोनों पक्षों ने अपने समझौते में कश्मीर मुद्दे को हल करने और क्षेत्र में स्थायी और सम्मानजनक शांति को बढ़ावा देने पर जोर दिया है.
‘लक्ष्य शानदार जीत सुनिश्चित करना है’
उन्होंने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से विकसित हो रहे राजनीतिक परिदृश्य पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि न तो जेईआई और न ही एआईपी निष्क्रिय पर्यवेक्षक बने रहने का जोखिम उठा सकते हैं.
समझौते पर पहुंचने के बाद एआईपी और जेईआई दोनों समूहों के नेतृत्व ने अपने कैडरों से समझौते के अनुरूप एक-दूसरे के उम्मीदवारों के लिए समर्थन का संदेश फैलाने का आह्वान किया है.
जमात समूह के एक सदस्य ने कहा, “लक्ष्य एआईपी और जेईआई उम्मीदवारों के लिए एक शानदार जीत सुनिश्चित करना है, यह सुनिश्चित करना कि जम्मू और कश्मीर के लोगों के पास मजबूत प्रतिनिधि हों जो उनकी भावनाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त कर सकें.”
बता दें कि जमात-ए-इस्लामी को गृह मंत्रालय ने 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था. इस साल यह प्रतिबंध 5 सालों के लिए और बढ़ा दिया गया है. यही कारण है कि इसके उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं.