विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishanakr) ने दिल्ली में चल रहे NDTV वर्ल्ड समिट 2024- ‘द इंडिया सेंचुरी’ में कई मुद्दों पर खुलकर अपनी अपनी राय रखी. उन्होंने भारत-चीन तनाव कम करने से लेकर अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों और दुनिया के भारत पर बढ़ते भरोसे तक का जिक्र किया. विदेश मंत्री इस दौरान कनाडा और पाकिस्तान पर भी खुलकर बोले. उन्होंने क्या कुछ कहा, जानिए.
भारत-चीन समझौते पर जयशंकर
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने और उसे रोकने के लिए हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ धैर्य की रणनीति की वजह से ही ये कामयाबी मिल सकी. इस पर सितंबर 2020 से बातचीत चल रही थी. उस समय मॉस्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद उनको लगा था कि दोनों देश 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे. हालांकि बातचीत की प्रक्रिया बहुत जटिल रही. विदेश मंत्री ने शांति की ओर बढ़ने की उम्मीद जताई.
2020 के पहले की स्थिति में लौटेंगे भारत-चीन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बहुत पॉजिटिव रही है. दोनों ही देश 2020 में गलवान झड़प से पहले वाली स्थिति में जा रहे हैं. इस सहमति का आगे कैसा असर होता है, यह देखना दिलचस्प होगा. बता दें कि विदेश मंत्री ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक समिट के दौरान चीन के साथ विवाद का 75% हल निकलने की बात कही थी. उन्होंने ये भी कहा था कि बॉर्डर पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है.
दोहरा है कनाडा का चरित्र
विदेश त्री एस जयशंकर ने अपना रुख साफ करते हुए कहा, “कनाडा का मुद्दा (India-Canada Tension) एक सामान्य पश्चिमी मुद्दा और कनाडा विशिष्ट मुद्दा है. उसका चरित्र दोहरा है.उन्होंने कहा कि दुनिया के समीकरण बदल रहे हैं और दुनिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है.पश्चिमी देश इसे पचा नहीं पा रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा हालांकि सभी पश्चिम देश एक जैसे नहीं हैं.
कनाडा से वापस क्यों बुलाए डिप्लोमेट्स
विदेश मंत्री ने कहा कि जब कनाडा के डिप्लोमेट्स भारत आकर हमारी सेना और पुलिस की जानकारी इकट्ठा करते हैं तब उनको कोई दिक्कत नहीं होती. लेकिन हमारे डिप्लोमेट्स पर पाबंदी लगा दी जाती है. कनाडा का ये रवैया डबल स्टैंडर्ड वाला है.उन्होंने कनाडा के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि 1980 में कनाडा से उड़ान भरने वाले एअर इंडिया के उस प्लेन की बात की जिसे क्रैश कर दिया गया था.जिसके बाद डिप्लोमेसी अलग दिशा में चली गई. कनाडा से हमसे उच्चायुक्त को पुलिस जांच के अधीन करने के लिए कहा. हमारी सरकार ने उसकी बात को खारिज कर अपने डिप्लोमेट्स वापस बुला लिए.
भारत-अमेरिका के रिश्ते कितने मजबूत?
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में मजबूती के नए आयाम बन रहे हैं.भारत आर्थिक, रणनीतिक, सुरक्षा और इंटेलिजेंस शेयरिंग के क्षेत्र में अमेरिका का आज अहम साझेदार है. भारत आज चीन को पीछे छोड़ अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर बन गया है. पूरे एशिया क्षेत्र में भारत अमेरिका का इकलौता सबसे मजबूत पार्टनर है. रक्षा सौदों से दोनों की साझेदारी को और मजबूती मिल रही है.
अचानक कैसे बदले भारत-अमेरिका के रिश्ते?
भारत-अमेरिका के रिश्ते एकदम से कैसे बदले इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “भारत-अमेरिका के रिश्ते असल में साल 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के बाद तेजी से और पॉजिटिव तौर पर बदले. क्लिंटन के भारत दौरे के दौरान भारत-पाकिस्तान हाइपरनेशन को लेकर अमेरिका के माइंडसेट में बदलाव आया.क्लिंटन के बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और फिर जो बाइडेन भारत आए. इन दौरों के बीच भारत-अमेरिका के रिश्ते धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ते गए.
सभी पश्चिमी देश एक जैसे नहीं
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत जैसे कल्चरल कॉन्फिडेंट देशों को बराबरी का पार्टनर बनाने के रूप में अमेरिका को साथ लेकर चलना जरूरी है. वह ये नहीं कहते कि सभी पश्चिमी देश एक जैसे हैं.क्यों कि कई देशों की समझ अच्छी है, खासतौर पर अमेरिका की. यही वजह कि साल 2017 में बने QUAD को अब अमेरिका स्वीकारने लगा है. क्वाड को लेकर पिछले 7 साल में पश्चिमी देशों का अप्रोच काफी बदला है.
आज खुलकर बोलता है भारत
भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दुनिया के बढ़ते भरासे का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया मेंआज ऐसे नेता बहुत कम हैं जो रूस के बाद यूक्रेन का दौरा कर सकते हैं. या फिर दोनों जगहों पर ये नेता खुलकर अपनी बात रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पहले रूस गए. उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. वह फिर कीव दौरे पर पहुंचे और जेलेंस्की से मिले.उन्होंने कहा कि अभी यूक्रेन में युद्ध के हालात हैं. ऐसे में कितने देश, कितने प्रधानमंत्री और कितने नेता, मॉस्को और जाकर खुलकर बात सकते हैं, या फिर पहले मॉस्को और और फिर कीव जा सकते हैं.
दुनिया को आज भारत पर भरोसा
एस जयशंकर ने कहा कि रूस-यूक्रेन की तरह ही मध्य पूर्व में भी एक युद्ध चल रहा है.बहुत से लोगों को ये पता ही नहीं होगा कि पिछले साल भी भारत ने ईरान और इजरायल से कितनी बार बातचीत की है.उन्होंने कहा कि लोगों को भारत पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे.
पाकिस्तान में नवाज से ज्यादा देर नहीं हुई बात
एस जयशंकर ने पाकिस्तान दौरे का जिक्र करते हुए शांघाई शिखर सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की बात से इनकार किया. उन्होंने कहा कि भारत SEO का एक अच्छा सदस्य है. हम सहयोगी थे और ये चाहते थे कि कार्यवाही सुचारू रूप से चले इसीलिए हाथ मिलाकर वापस आ गए. उन्होंने बताया कि शिखर सम्मेलन में मौजूद लोगों के लिए आयोजित ऑफिशियल डिनर में नवाज शरीफ के साथ उनकी एक छोटी बातचीत हुई. बस दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर शिष्टाचार का आदान-प्रदान किया. दोनों के बीच करीब बीस सेकंड बातचीत हुई और कुछ ही शब्द बोले गए.